ओडिशा के पंकज कुमार तरई, बीते 16 सालों से सड़क हादसे के शिकार लोगों को बचाने की मुहिम में लगे हैं। इसके लिए वह अपनी 30 फीसदी कमाई खर्च कर देते हैं। पढ़िए मानवता की यह प्रेरक कहानी!
बिहार के शेखपुरा के रहने वाले डॉ. रामनंदन सिंह, रिम्स रांची से एमबीबीएस करने के बाद, बीते 35 वर्षों से अपने गांव में लोगों की मामूली फीस पर इलाज कर रहे हैं। उनके पास आसपास के कई जिलों के मरीज आते हैं।
तमिलनाडु के तूतुकुड़ी में रहने वाले एम शक्तिवेल के कस्बे में पहले बिजली की कोई सुविधा नहीं थी। उनके प्रयासों से कस्बे में 15 सोलर पैनल लगे और लोगों की जिंदगी से अंधेरा हमेशा के लिए दूर हो गया। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!
पंजाब के फिरोजपुर के रहने वाले कमलजीत सिंह हेयर के परिवार में हुई कुछ घटनाओं ने उन्हें बैचेन कर दिया। इससे उन्हें वकालत छोड़, प्राकृतिक खेती अपनाने की प्रेरणा मिली। आज उन्होंने अपने 20 एकड़ जमीन को खेती के एक ऐसे मॉडल के रूप में विकसित किया है, जो हर किसान के लिए आदर्श है।
मध्य प्रदेश के देवास में रहने वाले मनोज पटेल पेशे से एक किसान हैं। लेकिन उन्होंने लोगों की मदद करने का जो जिम्मा उठाया है, वह सराहनीय है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!
नागालैंड का शिन्न्यु गांव (Nagaland Village) भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित है। 44 साल पहले बसे इस गांव में बिजली की कोई सुविधा न थी। लेकिन, एक सरकारी शिक्षक के सोशल मीडिया पोस्ट ने उन्हें एक नई उम्मीद दी है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!
रेहाना शेख, मुंबई क्राइम ब्रांच (इंटरपोल) में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। उन्होंने न सिर्फ 50 बेसहारा बच्चों और कोरोना महामारी के दौरान कई मरीजों की मदद की, बल्कि वह अपनी आंखें भी दान कर चुकी हैं।
चितरंजन दास ने एक वकील, राजनीतिज्ञ और पत्रकार के तौर पर भारत को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त कराने में जो भूमिका निभाई, उसकी कोई बराबरी नहीं कर सकता है। यही कारण है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
बेंगलुरु के रहने वाले सिड नायडू एक एडवरटाइजिंग और मीडिया कंपनी चलाते हैं, जिसका टर्नओवर लगभग चार करोड़ रुपए है। लेकिन एक समय था जब सिड अपने घर का खर्च चलाने के लिए अखबार बांटा करते थे।
मुंबई की रहने वाली ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट, देवांगी दलाल ने साल 2004 में, ईएनटी सर्जन, डॉ. जयंत गाँधी के साथ मिलकर 'जोश फाउंडेशन' की शुरुआत की। जिसके जरिए, वे 1300 से ज्यादा जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में 'डिजिटल हियरिंग एड' उपलब्ध करा चुके हैं।