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डॉ. राधाबिनोद पाल: वह भारतीय न्यायधीश, जिन्हें जापान ने अपने सर्वोच्च सम्मान से नवाज़ा!

By निशा डागर

भारतीय न्यायधीश राधाबिनोद पाल, दुसरे विश्वयुद्ध के बाद सहयोगी राष्ट्रों द्वारा आयोजित किये गये 'टोक्यो ट्रायल' के 11 न्यायधीशों में से एक थे। पर पाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि युद्ध में केवल नाज़ी गलत नहीं थे बल्कि मित्र राष्ट्रों ने भी गलत किया। 'टोक्यो ट्रायल' सीरीज़ में पाल का किरदार इरफ़ान खान ने निभाया है।

बाघा जतिन, जिनकी 'जुगांतर पार्टी' से तंग आकर अंग्रेज़ों ने बदल दी अपनी राजधानी!

By निशा डागर

जतिंद्रनाथ मुख़र्जी का जन्म बंगाल के कायाग्राम, कुष्टिया जिला (जो अब बांग्लादेश में है) में 7 दिसंबर 1879 को हुआ था। उन्हें सब 'बाघा जतिन' पुकारते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने ही 'जुगांतर पार्टी' का नेतृत्व किया। अंग्रेज भी बाघा जतिन से खौफ खाते थे।

मेजर ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर हिटलर ने दिया था यह ऑफर!

By निशा डागर

साल 1936 के बर्लिन ओलिंपिक के दौरान मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी को हराया था। उनके खेल से प्रभावित होकर नाज़ी तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने उन्हें जर्मन नागरिकता से साथ-साथ जर्मन सेना में एक ऊँचे पद की पेशकश की थी। जिसे ध्यानचंद ने ठुकरा दिया।

टैगोर और आइंस्टीन की बैठक : एक ऐतिहासिक पल जब दो सरफ़िरे बुद्धिजीवी मिले!

By निशा डागर

विख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन का भारत से बहुत ही प्यारा रिश्ता था। उन्होंने सत्येंद्र नाथ बोस के साथ मिल 'बोसोन' कण की खोज की। इसके अलावा उनका रबीन्द्रनाथ टैगोर से गहरा रिश्ता था। दोनों नोबेल पुरुस्कार विजेता एक-दूसरे का सम्मान करते थे।