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दुर्घटना के बाद कभी हाथ और पैर काटने की थी नौबत, आज हैं नेशनल पैरा-एथलेटिक्स के गोल्ड विजेता!

By निशा डागर

बिहार के 24 वर्षीय पैरा- एथलीट शेखर चौरसिया भी उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने हर एक चुनौती से लड़कर अपना रास्ता बनाया है। उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित अलग- अलग पैरा-एथलीट चैंपियनशिप में गोल्ड व सिल्वर मेडल जीते हैं।

क्रिकेट के 'रन मशीन' विराट को तो जानते हैं, अब जानें बास्केटबॉल के 'स्कोर मशीन' खुशी राम को!

By निशा डागर

'बास्केटबॉल का जादूगर' और 'एशिया की स्कोरिंग मशीन' जैसे उपनामों से जाने जाने वाले खुशी राम, मशहूर भारतीय बास्केटबॉल खिलाड़ी और कोच थे। अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित खुशी राम ने राजस्थान बास्केटबॉल टीम को ट्रेनिंग दी और भारतीय बास्केटबॉल टीम को अजमेर सिंह और हनुमान सिंह जैसे ओलंपियन दिए।

मैनुअल आरों: पहला भारतीय खिलाड़ी, जो बना शतरंज का 'इंटरनेशनल मास्टर'!

By निशा डागर

मैनुअल आरों का जन्म 30 दिसम्बर 1935 को बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में हुआ था। उनके माता-पिता भारतीय थे। मैनुअल आरों भारतीय राज्य तमिलनाडु में पले बढ़े। उन्होंने 9 बार राष्ट्रीय शतरंज की चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया। वे ‘इन्टरनेशनल मास्टर’ बनने वाले प्रथम भारतीय हैं।

शतरंज की वह महिला खिलाड़ी, जिसने पुरुषों को चेस में हराकर बनाई महिलाओं की जगह!

By निशा डागर

महाराष्ट्र के मुंबई से ताल्लुक रखने वाली रोहिणी खादिलकर का नाम शतरंज की दुनिया का वह नाम है जो चेस खिलाडियों के लिए और खासकर कि लडकियों के लिए एक प्रेरणा है। मात्र 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय महिला चेस चैंपियन बनने वाली रोहिणी को वुमन इंटरनेशनल मास्टर होने का भी ख़िताब प्राप्त है। 

कविता ठाकुर: ढाबे पर काम करने से लेकर एशियाड में गोल्ड मेडल जीतने तक का सफ़र!

By निशा डागर

हिमाचल प्रदेश में मनाली से 6 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव जगतसुख से ताल्लुक रखने वाली कविता ठाकुर भारतीय महिला कबड्डी टीम का अहम् हिस्सा हैं। उन्होंने अपनी ज्यादातर ज़िन्दगी जगतसुख के एक छोटे से ढ़ाबे में बितायी है। इस 24 वर्षीय खिलाडी ने साल 2104 के एशियाड खेलों में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में बेहतरीन भूमिका निभाई थी।