‘नोबल कॉज’, एक कार्ट के आकार का इको-फ्रेंडली शवदाह गृह है, जिसमें पहिए लगे हैं। इसे जरूरत के हिसाब से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इस सिस्टम को ‘चीमा बॉयलर्स लिमिटेड’ के चेयरमैन, हरजिंदर सिंह चीमा ने IIT रोपड़ की मदद से बनाया है।
राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले 62 वर्षीय गुरमैल सिंह धौंसी, एक फैब्रीकेटर, मैकेनिक और आविष्कारक हैं। उन्होंने कम्पोस्ट मेकर, ट्री प्रूनर जैसी 20 से ज्यादा मशीनें बनाई हैं।
पुणे में रहने वाले नंदन भट ने प्लास्टिक के कचरे के प्रबंधन के लिए, एक सोशल स्टार्टअप 'Ecokaari' शुरू किया है। जिसके जरिए, वह सिंगल यूज पॉलिथीन, चिप्स तथा बिस्कुट आदि के रैपर्स को अपसायकल करके तरह-तरह के उत्पाद बना रहे हैं।
बिहार के निक्की कुमार झा और रश्मि झा के स्टार्टअप, सप्तकृषि ने एक उपकरण बनाया है - 'सब्जीकोठी'। इसकी मदद से किसान अपनी उपज को एक महीने तक ताज़ा रख सकते हैं।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास के साइंटिस्ट और ISMO बायो-फोटोनिक्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक, इकराम खान ने कम लागत वाली 3डी प्रिंटिंग प्रणाली विकसित की है, जिससे छोटा ब्रेन ऑर्गेनाइड बनाया जा सकेगा।
इम्फाल, मणिपुर में रहने वाले एम. मनिहर शर्मा मात्र दसवीं पास हैं। लेकिन, उन्होंने कई आविष्कार किये हैं, जैसे 'ऑटोमैटिक पंप ऑपरेटिंग सिस्टम', 'इनोवेटिव ड्रायर', 'इन्सेंसे स्टिक मेकिंग मशीन', 'सोलर सिल्क रीलिंग कम स्पिनिंग मशीन' इत्यादि।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश के रहने वाले 29 वर्षीय मिलिंद राज को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने 'ड्रोन मैन ऑफ़ इंडिया' का नाम दिया था। उन्होंने अब तक कई ड्रोन और रोबॉट बनाये हैं।
असम के धेमाजी में रहने वाले नबजीत भराली ने जरूरतमंदों व दिव्यांगजनों के लिए कई ज़रूरी आविष्कार किए हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।