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1976 में सत्यजीत रे की लिखी यह लघु-कथा, हमें टेक्नोलॉजी से तभी आगाह कर चुकी थी!

By मानबी कटोच

हैरानी की बात है कि टेक्नोलॉजी की चरम सीमा पर पहुंचकर जिन बातों का डर हमें आज सता रहा है, उस डर को, उस खतरे को सत्यजीत रे आज से 40-50 साल पहले ही भांप चुके थे।