नीता ने अपना सफ़र पार्लर में अपने प्रोडक्ट्स सप्लाई करने से शुरू किया था। लेकिन अज रॉयल आर्किड होटेल्स, द पार्क होटल और मणिपाल हॉस्पिटल जैसे बड़े नाम उनके ग्राहकों की लिस्ट में शामिल होते हैं!
एक सफल उद्यमी शिल्पा कहती हैं,"मैंने अपने बेटे का वित्तीय भविष्य सुरक्षित कर लिया है।” उन्हें अक्सर प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों द्वारा अपनी ज़िंदगी की प्रेरणादायक कहानी साझा करने और बिजनेस मैनेजमेंट पर बात करने के लिए आमंत्रित भी किया जाता है।
मुंबई की उद्यमी कहती है, “मेरा अंतिम लक्ष्य छोटे पैमाने के किसान समुदायों को सशक्त बनाना है। मैं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करना चाहती हूं।'' #FarmersFirst #WomenEntrepreneurs
अनुया के इस काम कि शुरूआत एक आंगनवाड़ी में टायर से बना झूला देने से हुई थी और आज वह बच्चों के पूरे प्ले स्टेशन पुराने टायर्स और अन्य बेकार की चीजों से बना रही हैं!
'मिट्टी कैफ़े' की सबसे पहली स्टाफ कीर्ति ने जॉब के पहले दिन ही ग्राहक को चाय सर्व करने से पहले दो बार कप गिराया था। लेकिन आज कीर्ति यहाँ पर 4-5 स्टाफ को मैनेज करती हैं!
2012 में, ‘गो ग्रीन विद टेट्रा पैक’ के तहत ‘कार्टन ले आओ, क्लासरूम बनाओ’ अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के तहत, बेकार टेट्रा पैक को रीसायकल कर बेंच बनाया गया और ये बेंच सरकारी स्कूलों को दान दिए गए।
"फ़ास्ट फ़ूड के जमाने में मैं लोगों को 'स्लो फ़ूड सेंटर' का विकल्प दे रही हूँ। जहां रुककर वे अपनी संस्कृति, अपने समुदायों और अपनी जड़ों के बारे में सोच-समझ सकते हैं। हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।"
पहले ग्रामीण महिलाओं के सवाल होते थे, 'कोई और काम नहीं है क्या? यह तो मर्दों का काम है? पैंट-शर्ट कैसे पहनेंगे, आप साड़ी दे दो?' लेकिन आज यही महिलाएं अपनी यूनिफॉर्म पहनने में गर्व महसूस करतीं हैं!