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नौकरी छोड़ 10 हजार रुपये से शुरू किया व्यवसाय, आज कई बड़े-बड़े होटल हैं इनके ग्राहक!

नीता ने अपना सफ़र पार्लर में अपने प्रोडक्ट्स सप्लाई करने से शुरू किया था। लेकिन अज रॉयल आर्किड होटेल्स, द पार्क होटल और मणिपाल हॉस्पिटल जैसे बड़े नाम उनके ग्राहकों की लिस्ट में शामिल होते हैं!

कभी बच्चे का पेट भरने के लिए दूध में मिलाती थीं पानी, आज कमाती हैं लाखों में!

By पूजा दास

एक सफल उद्यमी शिल्पा कहती हैं,"मैंने अपने बेटे का वित्तीय भविष्य सुरक्षित कर लिया है।” उन्हें अक्सर प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों द्वारा अपनी ज़िंदगी की प्रेरणादायक कहानी साझा करने और बिजनेस मैनेजमेंट पर बात करने के लिए आमंत्रित भी किया जाता है।

मुंबई: 10,000 किसानों के 300 से ज्यादा जैविक उत्पाद सीधे बाज़ार तक पहुंचा रही है यह युवती

By पूजा दास

मुंबई की उद्यमी कहती है, “मेरा अंतिम लक्ष्य छोटे पैमाने के किसान समुदायों को सशक्त बनाना है। मैं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करना चाहती हूं।'' #FarmersFirst #WomenEntrepreneurs

पुराने टायर्स से बना रही हैं गरीब बच्चों के लिए प्ले स्टेशन, 20 स्कूलों में किया प्रोजेक्ट

By निशा डागर

अनुया के इस काम कि शुरूआत एक आंगनवाड़ी में टायर से बना झूला देने से हुई थी और आज वह बच्चों के पूरे प्ले स्टेशन पुराने टायर्स और अन्य बेकार की चीजों से बना रही हैं!

मिट्टी कैफ़े: खाने के ज़रिए 120 दिव्यांगों की ज़िंदगी बदल रही है यह युवती!

By निशा डागर

'मिट्टी कैफ़े' की सबसे पहली स्टाफ कीर्ति ने जॉब के पहले दिन ही ग्राहक को चाय सर्व करने से पहले दो बार कप गिराया था। लेकिन आज कीर्ति यहाँ पर 4-5 स्टाफ को मैनेज करती हैं!

कार्टन से स्कूल डेस्क बना रही हैं मुंबई की मोनिशा, हर साल 750 टन कचरा होता है रीसायकल!

By पूजा दास

2012 में, ‘गो ग्रीन विद टेट्रा पैक’ के तहत ‘कार्टन ले आओ, क्लासरूम बनाओ’ अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के तहत, बेकार टेट्रा पैक को रीसायकल कर बेंच बनाया गया और ये बेंच सरकारी स्कूलों को दान दिए गए।

'चावल की चाय' से 'रागी के मोमोज़' तक, झारखंडी खाने को सहेज रही हैं यह महिला!

By निशा डागर

"फ़ास्ट फ़ूड के जमाने में मैं लोगों को 'स्लो फ़ूड सेंटर' का विकल्प दे रही हूँ। जहां रुककर वे अपनी संस्कृति, अपने समुदायों और अपनी जड़ों के बारे में सोच-समझ सकते हैं। हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।"

800+ गरीब और ज़रूरतमंद महिलाओं को सिक्योरिटी गार्ड बनने की ट्रेनिंग दे रही है यह उद्यमी!

By निशा डागर

पहले ग्रामीण महिलाओं के सवाल होते थे, 'कोई और काम नहीं है क्या? यह तो मर्दों का काम है? पैंट-शर्ट कैसे पहनेंगे, आप साड़ी दे दो?' लेकिन आज यही महिलाएं अपनी यूनिफॉर्म पहनने में गर्व महसूस करतीं हैं!

अलग-अलग अनाजों से बनाए बेबी फ़ूड प्रोडक्ट्स, महीने में आते हैं 30,000 ऑर्डर्स!

By निशा डागर

अपने बच्चे के साथ दूसरों के बच्चों को भी हेल्दी खाना खिलाने की चाह में शालिनी ने सुपरफ़ूड बिजनेस का स्टार्टअप शुरू किया।

पुरानी-बेकार चीजों से उपयोगी प्रोडक्ट बना रहीं हैं यह सिविल इंजीनियर, 1 करोड़ है सालाना टर्नओवर!

By निशा डागर

पूर्णिमा सिंह ने अपने व्यवसाय की शुरुआत सिर्फ 3 महिला कारीगरों के साथ की थी और उनकी पहली कमाई मात्र 20 हज़ार रुपये थी!