हिप्पोक्रेट्स के महामारी वर्णन से हम समझ पाते हैं कि वे जीवाणु जो हजारों साल पहले इंसानी सभ्यता को झकझोर रहे थे, पूरी तरह कभी नष्ट हुए ही नहीं। वे सोए पड़े रहे थे प्रकृति की तहों में, चुप्पी ओढ़े रहे थे। और जब-जब मौका लगा, दुनिया पर कहर बरपा करने से बाज नहीं आए!