फरीदाबाद की तूलिका सुनेजा, साल 2018 से एक बर्तन बैंक चला रही हैं और इसके ज़रिए वह कई शहरों से लाखों प्लास्टिक प्लेट्स, ग्लास और चम्मच जैसे सिंगल यूज़ प्लास्टिक को लैंडफिल में जाने से बचा रही हैं।
30 वर्षीय नाज़ ओजैर को बचपन से ही इनोवेशन का शौक़ रहा है। उनके भांजे की अचानक हुई मृत्यु ने, उन्हें प्लास्टिक का विकल्प ढूंढने की प्रेरणा दी और उन्होंने नौकरी छोड़कर, प्लास्टिक से बनने वाले 10 प्रोडक्ट्स को मकई के छिल्कों से बनाकर तैयार किया।