चाटोशाली यानी एक ऐसी जगह जहां गांव के बच्चे इकठ्ठा होकर पढ़ाई करते हैं। अबिनाश ने ओडिशा की सालों पुरानी इस प्रथा को जिन्दा किया और संवार दिया सैकड़ों बच्चों का भविष्य।
ओडिशा के रेसिंगा गाँव के रहने वाले दिलीप बराल पहले पराली को खेतों में ही जला देते थे, लेकिन अब वह इससे आलू की खेती कर, बड़े पैमाने पर पानी और पैसों की बचत कर रहे हैं।