छोटी नदियों और पहाड़ियों के से घिरे ‘किसान ईको फार्मस्टे’ में प्रकृति का बेहद खूबसूरत नज़ारा देखा जा सकता है। मुंबई से थोड़ी ही दूर हरियाली के बीच बसे इस ईको-फ्रेंडली फार्मस्टे में रहने का अनुभव काफ़ी अनोखा है।
“जब मैंने मोगरा विक्रताओं को सोनचाफा के बारे में बताया, तो इससे पहले न तो उन्होंने इसके बारे में सुना था और न ही ऐसा कोई फूल देखा था। इसलिए मैं मुफ़्त में ही कई हफ़्तों तक उन्हें यह फूल देता रहा।" - रॉबर्ट डीब्रिटो
इकोलॉजी में पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुकी एकता कहती हैं, "रिसर्च वर्क अपने-आप में एक बेहद थका देने वाला काम होता है, पर दिन के अंत में मेरा बगीचा मुझे काफी सुकून देता था।”
उल्हास परांजपे का सवाल बहुत ही सरल है। वह जानना चाहते हैं कि यदि मुंबई के नागरिकों और उद्योगों को पूरे साल पर्याप्त पानी मिल सकता है, तो फिर किसान क्यों नहीं मिल सकता?