मिलिए मुजफ्फरनगर की सामाजिक कार्यकर्ता शालू सैनी से, जो पिछले 15 सालों से अपनी खुद की जीवन की परेशनियां भूलकर दूसरे लोगों के लिए काम कर रही हैं। कोरोना के समय में उन्होंने लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करना शुरू किया था और अब तक वह 500 से ज्यादा लोगों का परिवार बन अंतिम क्रिया करा चुकी हैं।