पहले ये महिलाएं जंगलों से फल इकट्ठा करके सड़क किनारे बेचतीं थीं और मुश्किल से दिन के 100 रुपये कमा पातीं थीं। पर अब उन्हें भटकना नहीं पड़ता, वो फलों को इकट्ठा करके सीधा प्रोसेसिंग यूनिट के संग्रहण केंद्र पर पहुंचाती हैं, जहां से उन्हें बाज़ार के हिसाब से भाव मिल जाता है!