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Video: हादसे में दोनों पैर गंवाने के बाद भी, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर लहराया तिरंगा

छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले चित्रसेन साहू ने एक ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर गंवाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। इस वीडियो में देखिये उनकी कहानी उन्ही की ज़ुबानी।

ठान लो तो असंभव कुछ भी नहीं: 9 महीने में 48 किलो वजन कम कर छत्तीसगढ़ के ASI ने पेश की मिसाल

बढ़ते वजन से परेशान छत्तीसगढ़ के ASI विभव तिवारी ने, सिर्फ नौ महीने में अपना वजन 150 किलो से 102 किलो कर दिखाया (weight loss)।

बिहार: 27 वर्षीय युवक ने बनाया 'खाना बनाने वाला रोबोट', डॉ. कलाम ने की थी मदद

बिहार के भागलपुर जिला नवगछिया के रहने वाले अभिषेक भगत ने 'रोबोकुक' नामक खाना बनाने वाला रोबोट बनाया है, जिसे आपको सिर्फ ऑर्डर देने की जरुरत है और आपका मनपसंद खाना तैयार हो जाएगा।

लद्दाख: जहाँ मोबाइल, टी.वी पर भी थी रोक, उस समुदाय की पहली वकील बन बदली सोच

लद्दाख के बोग्दंग गाँव की रहने वाली जुलेखा बानो अपने ‘बाल्टी समुदाय’ में वकील बनने वाली पहली महिला हैं। लेकिन, उनका यह सफर कई कठिनाइयों से भरा रहा है। यहाँ पढ़िए, उनकी प्रेरक कहानी!

पाँच दोस्तों ने मिल शुरू किया मसालों का बिजनेस, 300 आदिवासी परिवारों को मिली नई उम्मीद!

लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का दर्द देख, मध्य प्रदेश के गोविंदपुरा गाँव में, पाँच साथियों ने “धरती के लाल” नाम से एक कंपनी को शुरू किया। इसके तहत, वे मसालों का बिजनेस करते हैं और उनका इरादा गाँव के सभी 300 घरों को रोजगार देना है।

नागालैंड: छात्रों ने मिनी-हाइड्रो पावर प्लांट लगा, गाँव को बनाया आत्मनिर्भर!

नागालैंड के खुजमा गाँव में रहने वाले केसेतो ठाकरो NIT Nagaland में एक टेक्नीशियन के रूप में काम करते हैं। उन्होंने अपने गाँव में एक मिनी-हाइड्रो पावर प्लांट को लगाया है, जिससे आज पूरा गाँव रोशन हो रहा है।

“जरूरतमंदों को पैसे देने के बजाय, खाना देना बेहतर…” मिलिए कोच्चि के इस प्रेरक चायवाले से!

केरल के कोच्चि के रहने वाले ओ.ए. नजर और उनके भाई ओ. ए. शमसुद्दीन, अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए, हर दिन कम से कम 10 लोगों को खाना खिलाते हैं।

आँखों की रोशनी जाने से छिन गई नौकरी, लेकिन नहीं हारी हिम्मत, शुरू किया अपना बिज़नेस

महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले 34 वर्षीय गोपाल डागोर के आँखों की रेटिना बचपन से ही खराब थी, लेकिन डॉक्टरों को लगा कि आगे चलकर यह ठीक हो जाएगा। लेकिन साल 2016 में उनकी 90% दृष्टि बाधित हो गई। इस घटना से गोपाल की नौकरी चली गई और उनका जीवन काफी कठिन हो गया।

7वीं पास माँ की 'मदद और न्याय' की सीख ने बनाया अधिकारी, पढ़िए एक IPS की संघर्ष भरी कहानी

नागपुर स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो में पुलिस अधीक्षक के रूप में सेवारत आईपीएस निर्मला देवी मूल रूप से तमिलनाडु के कोयंबटूर के अलंदुराई गाँव की रहने वाली हैं।

कचरा उठाने वालों के 500 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता है दिहाड़ी मजदूर का इंजीनियर बेटा

इरप्पा नाइक ने 20 सालों तक पैसे जमा किए ताकि वह गरीब बच्चों के लिए निशुल्क स्कूल खोल सकें।