महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के IAS ऑफिसर डॉ. राजेंद्र भारूड़ ने कोरोना की दूसरी लहर के बीच पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई, बेड, एक नियोजित टीकाकरण अभियान और व्यवस्थित तैयारी के साथ, जिले को बचाये रखने में कामयाबी हासिल की है।
ध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में 28 वर्षीया डॉ. नूरी परवीन, जरूरतमंद और गरीब लोगों के लिए क्लिनिक चला रही हैं, जहाँ वह मात्र 10 रुपये में मरीज़ों का इलाज करती हैं।
मुंबई के शशांक मोधिया ने साल 2019 में अपने स्टार्टअप 'द रीनल प्रोजेक्ट' की शुरुआत की और इसके तहत वह टियर II और टियर III शहरों में रहने वाले 150 किडनी मरीजों को नियमित रूप से किफायती डायलिसिस की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
भारत ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत, लगभग 10 मिलियन टीकों को भेजने वाला है, जिनमें से लगभग 4.9 मिलियन टीके, पड़ोसी देशों जैसे, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, ब्राजील आदि को, एक उपहार के रूप में भेजे जा चुके हैं।
रूरल हेल्थ केयर फाउंडेशन के सेंटर्स पर आने वाले मरीज़ों से कंसल्टेशन फीस मात्र 80 रुपये ली जाती है और उन्हें एक हफ्ते की दवाइयां मुफ्त में दी जाती हैं!
Bengaluru के रहने वाले डॉ. सुनील कुमार हेब्बी का उद्देश्य ज़रुरतमंदों तक सही स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाना है और इसके लिए वे अब तक 700 से ज़्यादा मेडिकल कैंप कर चुके हैं। इसके साथ ही वे 'राईट टू हेल्थ' मुहीम चला रहे हैं ताकि देश में नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार भी मिले।