पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) की फिल्म 'कागज़' उत्तर प्रदेश के श्री लाल बिहारी मृतक पर आधारित है, जिन्हें सरकारी कागज़ों में मृतक घोषित कर दिया गया था। अपने आप को ज़िंदा साबित करने के लिए बिहारी ने 18 साल लम्बी लड़ाई लड़ी थी।
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक मैन्युअल के मुताबिक अगर 80 फीसदी लोग बाहर निकलते समय फेस-मास्क का इस्तेमाल करते हैं तो महामारी के प्रकोप को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है!
क्या आपको पता है कि प्राइवेट और सरकारी गैस एजेंसियों के सिलिंडरों का साइज़ अलग-अलग होता है और इसलिए आप अदला-बदली नहीं कर सकते हैं? जानिए इस तरह की और भी बातें।
अगर कभी हमारा कोई ज़रूरी डॉक्यूमेंट खो जाए तो हम बहुत घबरा जाते हैं। समझ नहीं आता कि अब क्या करें? लेकिन घबराने की बजाय आप जरा सी समझदारी से स्थिति को सम्भाल सकते हैं!
छत्तीसगढ़ धीरे-धीरे लेकिन स्थिरता से कुपोषण के मुद्दे को हल कर रहा है और झारखंड, राजस्थान, असम और ओडिशा जैसे अन्य राज्य, बेशक इससे सीख लेकर अपने यहाँ भी इस तरह की योजनायें और कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।
Bengaluru के रहने वाले डॉ. सुनील कुमार हेब्बी का उद्देश्य ज़रुरतमंदों तक सही स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाना है और इसके लिए वे अब तक 700 से ज़्यादा मेडिकल कैंप कर चुके हैं। इसके साथ ही वे 'राईट टू हेल्थ' मुहीम चला रहे हैं ताकि देश में नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार भी मिले।
उत्तर-प्रदेश के जगापुर गाँव में पली-बढ़ी रमा सिंह दुर्गवंशी फिलह मुंबई में एक कंपनी में बतौर डायरेक्टर कार्यरत हैं। लेकिन फिर भी वे अपने पति के सहयोग से Arise N Awake संस्था के ज़रिए गांवों के विकास का कार्य कर रही हैं। उनके प्रयासों से 20 हज़ार से भी ज़्यादा लोगों को लाभ मिला है।