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शहीद के साथी: सुशीला दीदी, राम प्रसाद बिस्मिल की सच्ची साथी!

By द बेटर इंडिया

काकोरी कांड के फैसले में 4 क्रांतिकारियों को फांसी हुई और पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई, लेकिन सुशीला दीदी के कदम नहीं रुके।

शहीद का साथी: कर्नल निज़ामुद्दीन, सुभाष चंद्र बोस के इस सच्चे साथी की अनसुनी कहानी

By Shashi Shekhar

कर्नल निज़ामुद्दीन ने 1943 में सुभाष चंद्र बोस की रक्षा करते हुए 3 गोलियाँ खाई थीं।

कनाई लाल दत्त: खुदीराम बोस के बाद देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाला आज़ादी का दूसरा सिपाही!

By निशा डागर

कनाई की फांसी के बाद जेल के वार्डन ने उनके प्रोफेसर से कहा था कि यदि कनाई जैसे 100 वीर भी आपके पास हों तो आपको आज़ादी पाने से कोई नहीं रोक सकता!

दुर्गा भाभी की सहेली और भगत सिंह की क्रांतिकारी 'दीदी', सुशीला की अनसुनी कहानी!

By निशा डागर

अंग्रेजी सेना में नौकरी करने वाले सुशीला दीदी के पिता ने उन्हें रोकना चाहा था लेकिन उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि घर छूटे तो छूटे लेकिन देश को आज़ादी दिलाए बिना उनके कदम नहीं रुकेंगे!

अंग्रेजों को मात देने के लिए इस सेनानी ने काट दिया था अपना ही हाथ!

By निशा डागर

हाथ काटने के बाद भी 80 वर्षीय वीर कुंवर का संग्राम नहीं रुका। उन्हें आराम करने की हिदायत मिली लेकिन फिर भी उन्होंने अंग्रेजों से अपनी मातृभूमि के लिए युद्ध किया!

घूंघट छोड़कर आज़ादी की लड़ाई से जुड़ने के लिए प्रेरित करने वाली राधाबाई की कहानी!

By निशा डागर

रायपुर में स्वाधीनता की क्रांति को घर-घर पहुंचाने का काम डॉ. राधाबाई ने ही किया था। उनकी प्रेरणा से ही यहाँ की महिलाएं स्वतंत्रता आंदोलनों से जुड़ीं!

इस महिला गुप्तचर ने बीमार हालत में काटी कारावास की सजा, ताकि देश को मिले आज़ादी!

By निशा डागर

सांस की बीमारी के बावजूद लड़तीं रहीं ब्रिटिश शासन के खिलाफ, सज़ा होने पर भी पीछे नहीं हटाए कदम!

एक महिला सेनानी का विरोध-प्रदर्शन बन गया था ब्रिटिश सरकार का सिरदर्द!

By निशा डागर

अंग्रेजों द्वारा शराब की दुकान खोलने और अफीम उगाने के विरोध में बसंतलता और उनकी महिला साथियों ने मोर्चा खोला था। ये 'स्वदेशी आंदोलन' इस कदर बढ़ा कि अंग्रेजों को इसे रोकने के लिए सर्कुलर निकालना पड़ा!

ताउम्र देश के लिए समर्पित रही यह महिला, फिर भी नहीं है इतिहास की किताबों में नाम!

By निशा डागर

नमक सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार किए गए लोग जब जेल से बाहर निकले तो बिल्कुल बेसहारा हो गए थे। न खाने को खाना, न रहने को छत, ऐसे में, उमाबाई ने इन सेनानियों को अपने घर में आश्रय दिया!

'तवायफ़', स्वतंत्रता संग्राम की गुमनाम नायिकाएँ!

इनके कई नाम है – उत्तर में तवायफ, दक्षिण में देवदासी, गोवा में नायिका, बंगाल में बाजी, ब्रिटिश के लिए नौच गर्ल्स फिर भी ये सारे नाम अश्लीलता का पर्याय है। लेकिन, वे सभी एक मजबूत व स्वतंत्र महिलाएं थीं।