किन्नर होने की वजह से सुमी को 14 साल की छोटी उम्र में घर छोड़ना पड़ा, पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उनकी जिंदगी स्टेशन पर संघर्ष और शोषण का सामना करते हुए बीती, लेकिन आज वही सुमी अपनी जिंदगी के गहरे अंधेरों से लड़कर गरीब बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी ला रही हैं।