आयोध्या के रहनेवाले वेद कृष्ण ने अपने पिता के गुजर जाने के बाद ‘यश पक्का’ की बागडोर संभाली। उन्होंने गन्ने की खोई से कप-प्लेट बनाकर किसानों और पर्यावरण, दोनों को फायदा पहुँचाया है।
केरल के एर्नाकुलम में रहने वाले विनय कुमार बालाकृष्णन ने सीएसआईआर- नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NIIST) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं के चोकर से बायोडिग्रेडेबल सिंगल यूज क्रॉकरी बनाई है।
उत्तराखंड में भद्रीगाड रेंज में तैनात वन रेंज अधिकारी मेधावी कीर्ति ने ग्रामीण महिलाओं की ट्रेनिंग और उनके बनाये उत्पादों की मार्केटिंग के लिए 'धात्री' पहल की शुरुआत की। जिसकी मदद से ये महिलाएं, आज एक लाख रुपये तक कमा पा रही हैं।