वाराणसी की शिखा शाह, पुरानी-बेकार चीजों से नयी और खूबसूरत चीजें बनाकर scrap business, Scrapshala चला रही हैं,, जिससे उनकी हर साल, 10 लाख रुपये की आमदनी हो रही है।
उत्तराखंड में भद्रीगाड रेंज में तैनात वन रेंज अधिकारी मेधावी कीर्ति ने ग्रामीण महिलाओं की ट्रेनिंग और उनके बनाये उत्पादों की मार्केटिंग के लिए 'धात्री' पहल की शुरुआत की। जिसकी मदद से ये महिलाएं, आज एक लाख रुपये तक कमा पा रही हैं।
मुंबई के रहने वाले पंकज नेरुरकर ने, लॉकडाउन में अपना रेस्तरां बंद होने की वजह से आजीविका के लिए, अपनी नैनो कार में ‘नैनो फूड स्टॉल’ शुरू किया। जिसमें वह सीफूड बेचते हैं और हर रोज लगभग 150 ग्राहकों को खाना खिला कर, एक लाख रुपये/माह कमा रहे हैं।
हरियाणा के शौफी गाँव के रहने वाले गौरव राणा की। वह ब्यूटी स्टार्टअप कैलेप्सो के संस्थापक हैं और इसके तहत वह न सिर्फ हर साल करोड़ों रुपए की कमाई करते हैं, बल्कि 100 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में दिव्या और उनकी माँ इंदिरा जंगल पद्धिति से फल, हर्ब्स और सब्जियां उगातीं हैं और इस उपज को प्रोसेस करके 'हिमालयन हाट' के ज़रिए बाज़ार तक पहुंचा रही हैं!
आज उत्तराखंड में खेती-किसानी के क्षेत्र में दिव्या का एक जाना-माना नाम है। लोग उन्हें ‘मशरूम गर्ल’ के नाम से जानते हैं। खेती कार्यों में उनके उल्लेखनीय योगदानों के लिए साल 2016 में उन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
विवेक ने जब खेती करना शुरू किया, उन्होंने तब ही ठान लिया था कि वह इसे व्यवसाय की तरह आगे बढ़ाएंगे क्योंकि आने वाला जमाना होम-डिलीवरी का है और किसानों को उसी तरह से ढलना होगा!