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YouTube से सीखा डिज़ाइनर मोमबत्तियां बनाना और घर बैठे शुरू हो गया बिज़नेस

By निशा डागर

श्रीनगर में रहनेवाली 25 वर्षीया इंजीनियर, महक परवेज़ ने पिछले साल लॉकडाउन के दौरान, घर पर ही तरह-तरह की डिज़ाइनर मोमबत्तियां बनाना शुरू किया था। अब अपनी बनाई मोमबत्ती को वह ‘shamaaque_by_mehak’ के जरिए ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं।

3000 से भी ज़्यादा कारीगरों को रोज़गार देकर, 'पश्मीना' की विरासत को सहेज रहा है यह कश्मीरी युवक!

By निशा डागर

कश्मीर में श्रीनगर के रहने वाले 29 वर्षीय जुनैद शाहदार ने पश्मीना की विरासत और संस्कृति को सहेजने के लिए 'फम्ब' नाम से एक ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू किया है। फम्ब फैशन हाउस से आप हाथ से बनी पश्मीना शॉल, स्कार्फ़, ब्लेज़र आदि खरीद सकते हैं। उनके इस स्टार्टअप से आज 3, 000 हाथ के कारीगरों को रोज़गार मिल रहा है।

कश्मीर: भारी बर्फ़बारी के बीच भारतीय सेना ने गर्भवती महिला को पहुँचाया अस्पताल!

By निशा डागर

8 फरवरी 2019 को उत्तर-कश्मीर के बांदीपुर जिले में भारतीय सेना ने एक गर्भवती महिला को भारी बर्फ़बारी के बीच उसे अस्पताल पहुँचाया। वे उसे ढाई किलोमीटर तक स्ट्रेचर पर उठाकर लेकर गये और वहाँ से उसे अस्पताल पहुँचाया गया। यहाँ महिला ने जुड़वाँ बच्चियों को जन्म दिया।

एक और दंगल : पिता ने देखा था ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना, आज बेटी ने किया पूरा!

By निशा डागर

16 वर्षीय भारतीय रेसलर सिमरन अहलावत ने हाल ही में हुए यूथ ओलंपिक में सिल्वर पदक जीतकर न केवल अपने पिता राजेश अहलावत का बल्कि पुरे देश का सिर गर्व से ऊँचा किया है। आज सिमरन भारत की दूसरी लड़की पहलवान है जिसने यूथ ओलंपिक में मेडल जीता है।

कश्मीर में शहीद हुए मेजर कौस्तुभ को हज़ारों की संख्या में लोगों ने दी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि!

By निशा डागर

मंगलवार को कश्मीर के श्रीनगर से 125 कोलीमेटर दूर बांदीपोरा ज़िले में एलओसी पर हुए एनकाउंटर में शहीद होने वाले चार भारतीय सैनिकों में से एक 29 वर्षीय मेजर कौस्तुभ राणे भी थे। मुंबई के मीरा रोड से ताल्लुक रखने वाले राणे को इसी साल जनवरी में मेजर की पोस्ट पर पदोन्नति मिली थी।

वायु सेना के एकमात्र परमवीर चक्र विजेता, फ्लाइंग अफ़सर निर्मलजीत सिंह सेखों के साहस की अमर कहानी

By निशा डागर

1971 के भारत पाक युद्ध में शहीद होने वाले पंजाब के लुधियाना जिले के रहने वाले निर्मल जीत सिंह सेखों का जन्म 17 जुलाई, 1943 को हुआ था। उनके पिता तारलोचन सिंह सेखों भारतीय वायुसेना में एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे। वे इकलौते वायु सेना के अफसर थे जिन्हें परम वीर चक्र से नवाजा गया।