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शनिवार की चाय

मेरे दिल की राख कुरेद मत

By मनीष गुप्ता

उस दिन मिरैकल हुआ - बशीर साहब के चेहरे पर चमक आई, उन्होंने अपनी शरीके हयात की गोद में रखे अपने सर को हौले से हिलाया और एक हलकी सी मुस्कराहट के ज़रिये फ़रमाया कि वो सुन और समझ पा रहे हैं.

26 जनवरी : इतिहास का उपयोग क्या हो?

By मनीष गुप्ता

इतिहास को समझने के लिए इंसान में विवेक भी हो, वरना जिसका जो जी चाहेगा इतिहास को घुमा फिरा कर अपना उल्लू सीधा करने निकल पड़ेगा।

पचास : साइकिल : प्रेम : शराब : कविता

By मनीष गुप्ता

पचपन-साठ के आसपास विधवा/ विदुर हुए लोगों की शादी आज 2019 में भी दुर्लभ है. अब जब बच्चों का घर बस चुका है, या बसने वाला है अकेले माँ या बाप की शादी की बात एक पाप की तरह लगती है. माँ के लिए रोया जाता है कि हाय कैसे रहेगी अब बेचारी लेकिन उनका भी नया घर बसे यह नहीं सोचा जाता.

पुरानी गली में एक शाम : इब्ने इंशा

By मनीष गुप्ता

आज की शनिवार की चाय का मकसद आपके साथ इब्ने इंशा के लिए उमड़े प्यार को साझा करना है. 'मीठी बातें - सुन्दर लोगों' में अपने आपको गिन लेने वाले इंशा जी को पढ़ना-सुनना आपके मन में सुनहला, सुगन्धित, नशीला धुआँ भर देता है.

कविता-क्लोनिंग [क्या इससे बचना सम्भव है?]

By मनीष गुप्ता

कविता लिखने की स्किल सीख सीख कर किताबें छपवाई जा रही हैं, वैसे भी आजकल कोई सम्पादन का मुआमला तो है नहीं, अपने पैसे दे कर जैसी चाहे छपवा लो, फिर सोशल मीडिया पर अपने आपको प्रमोट कर लो.

पुष्पा भारती से सब प्यार करते हैं!

By मनीष गुप्ता

आज द बेटर इंडिया और शनिवार की चाय में मनीष गुप्ता के साथ पढ़िए, डॉ. धर्मवीर भारती की रचना 'कनुप्रिया'! क्योंकि डॉ. भारती सिर्फ 'गुनाहों का देवता' के ही रचियता नहीं थे। उन्होंने 'कनुप्रिया' और 'अंधायुग' जैसी रचनाएँ भी की हैं।

आपके भीतर की कोयल कैसी है?

By मनीष गुप्ता

फ़ेसबुक जन्य डिप्रेशन के 70% लोग शिकार हैं. सोशल मीडिया की मछलियाँ अपनी पींग में कम खिलती हैं, दूसरों की डींग में अधिक गलती हैं. चमक-दमक एकमात्र गहना है. लोग लगातार जो नहीं हैं वह दिखने के लिए मरे जा रहे हैं.

भूत / देव / नरक / पाताल

By मनीष गुप्ता

मानव कौल एक अभिनेता होने के साथ-साथ, एक परिपक्व नाटककार भी हैं. हिन्दी कविता प्रोजेक्ट में आरम्भ से ही जुड़े थे. आज के वीडियो में उनके एक नाटक 'इल्हाम' से एक कविता 'रेखाएँ' आप के लिए प्रस्तुत है