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महिलाओं के मुद्दों को घर के चूल्हे-चारदीवारी से निकाल, चौपाल तक पहुँचाने वाली बेबाक लेखिकाएं!

By निशा डागर

द बेटर इंडिया पर, पढ़िए ऐसी कुछ लेखिकाओं के बारे में, जिनकी रचनाओं ने स्त्री के मुद्दों को घर के चूल्हे और चारदीवारी से निकालकर पुरुष-प्रधान चौपाल तक पहुँचा दिया। इनमें कृष्णा सोबती, अमृता प्रीतम, मृदुला गर्ग, कमला भसीन, इस्मत चुग़ताई, अनुराधा बेनीवाल और चित्रा देसाई जैसे नाम शामिल होते हैं!

'झाँसी की रानी' को जन-मानस तक पहुँचाने वाली सुभद्रा!

By निशा डागर

16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक एक गाँव में जन्मीं सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। राष्ट्रीय चेतना के प्रति सजग इस कवियत्री के काव्य में आपको 'वीर रस' की आभा मिलेगी। उनकी कविता, 'झाँसी की रानी' के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

कृष्णा सोबती : बंटवारे के दर्द से जूझती रही जिसकी रूह!

By निशा डागर

साल 2017 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मशहूर हिंदी लेखिका, निबंधकार कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को हुआ था। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं- ज़िंदगीनामा, यारों के यार, मित्रो मरजानी, सिक्का बदल गया, आदि। 25 जनवरी 2019 को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

वीडियो : कारगिल शहीद कप्तान हनीफ उद्दीन की माँ का आप सबके लिए सन्देश!

By निशा डागर

साल 1999 के कारगिल युद्ध में राजपुताना राइफल्स के कप्तान हनीफ उद्दीन ने अपने सैनिकों की रक्षा करते हुए खुद को देश के लिए कुर्बान कर दिया था। हाल ही में, एक पत्रकार और लेखिका रचना बिष्ट रावत ने हनीफ की माँ हेमा अज़ीज़ के साथ उनकी मुलाकात के बारे में एक फेसबुक पोस्ट साँझा की।

प्रभा खेतान की कहानी - छिन्नमस्ता!

By द बेटर इंडिया

बचपन से ही भेदभाव और उपेक्षा की शिकार साधारण शक्ल-सूरत और सामान्य बुद्धि की प्रिया परिवार की ‘सुरक्षित’ चौहद्दी के भीतर ही यौन शोषण की शिकार भी होती है और तदुपरांत प्रेम और भावनात्मक सुरक्षा की तलाश में उन तमाम आघातों से दो-चार होती है जिनसे सम्भवतः हर स्त्री को गुजरना होता है।

मृदुला गर्ग : जिनके उपन्यास को अश्लील कहकर चलाया गया मुकदमा पर चलती रही इनकी कलम!

By निशा डागर

25 अक्टूबर 1938 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जन्मीं मृदुला गर्ग हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह सब मिलाकर उन्होंने लगभग 30 किताबें लिखी हैं। उनके उपन्यास और कहानियों का अनेक हिंदी भाषाओं तथा जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेजी में अनुवाद हुआ है। 

इस्मत चुग़ताई : साहित्य का वह बेबाक चेहरा जिसे कोई लिहाफ़ छिपा न सका!

By निशा डागर

15 अगस्त 1911 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मी इस्मत चुग़ताई उर्दू साहित्य की महान लेखिका थीं। उनके द्वारा लिखे गये अफ़साने और कहानियों को आज भी पढ़ा जाता है। उनकी कहानी 'लिहाफ' को लेकर पुरे देश में बवाल मच गया था। फिर भी उनकी लेखनी का बेबाकपन कम न हुआ। 24 अक्टूबर 1991 में उन्होंने दुनिया से विदा ली।