इंदौर में रहने वाली 65 वर्षीया चेतना भाटी को बचपन से ही बागवानी से काफी लगाव था। उन्होंने टेरेस गार्डनिंग की शुरुआत, 4 साल पहले सात-आठ फूलदार पौधों से की थी और आज उनके पास 150 से अधिक पौधे हैं। पढ़िए बागवानी की यह प्रेरक कहानी!
केरल में एर्नाकुलम जिले के एक गाँव की रहने वाली 46 वर्षीया सुलफत मोइद्दीन अपने घर की छत पर अलग-अलग तरीकों से जैविक खेती कर रही हैं और इस उपज से वह प्रतिमाह 20 हजार रुपए तक की कमाई कर लेती हैं।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में रहने वाली 46 वर्षीया ऋतू सोनी, साल 2017 से अपनी छत पर बागवानी कर रही हैं और अपने ‘एबीसी ऑफ़ गार्डनिंग' यूट्यूब चैनल के जरिए, अपने 1.7 लाख से भी ज्यादा सब्सक्राइबर को बागवानी के गुर सिखा रही हैं।
लुधियाना, पंजाब के रहने वाले 39 वर्षीय बैंक क्लर्क अंकित गुप्ता ने यूट्यूब से हाइड्रोपोनिक्स विधि सीखकर, अपने घर की छत पर यह सेटअप लगाया और आज वह हर महीने 40 हजार रुपए से ज्यादा की सब्जियां ग्राहकों तक पहुँचा रहे हैं।
केरल के तिरुवनंतपुरम निवासी, राजमोहन ने अपने घर की छत पर ग्रो-बैग्स में अंगूर उगाकर इस धारणा को बदल दिया है कि अंगूर केवल पहाड़ी क्षेत्रों में ही उगते हैं।
हैदराबाद की रहने वाली एक गृहिणी, दर्शा साई लीला अपनी छत पर 600 से अधिक पौधों की बागवानी करती हैं, जिसमें आम, नारंगी, लीची, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, से लेकर एवोकाडो तक शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के रहने वाले सुबोध भोई और उनकी पत्नी ईश्वरी भोई, पेशे से एक शिक्षक हैं। लेकिन, पिछले 8 वर्षों से, अपने व्यस्त दिनचर्या के बीच, दोनों टेरेस गार्डनिंग कर, अपनी बागवानी की रुचि को एक नया आयाम दे रहे हैं।
साल 2019 में, आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर दीपक जॉन मैथ्यू ने अपने घर के बगीचे में टैपिओका लगाया। इसके करीब 8 महीने बाद, उन्हें 24 किलो टैपिओका की फसल मिली, जो औसतन 6 किलो के अनुमानित उपज से चार गुना ज्यादा था।