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नेकी की मिसाल: गरीब छात्रों की शिक्षा के लिए, यह बस कंडक्टर देता है हजारों का योगदान

By निशा डागर

आंध्र प्रदेश के कदिरी में, आरटीसी बस डिपो के एक बस कंडक्टर थोटा श्रीधर, हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर ‘जिला परिषद हाई स्कूल’ में गरीब छात्रों की मदद के लिए, 20 से 25 हजार रुपये का आर्थिक योगदान करते हैं।

अनाथ बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए हर दिन शौचालय साफ़ करता है यह वेल्डर!

By निशा डागर

"मैं 12 साल का था जब मैंने पेपर मिल और वर्कशॉप में काम करना शुरू किया। मैं नहीं चाहता कि कोई भी बच्चा इस तरह की परेशानी झेले और अपने सपनों को छोड़ दे। इसलिए मैं जिस भी तरह से उनकी मदद कर सकता हूँ, करता हूँ।"

खुद किताबों के अभाव में बड़ा हुआ यह पत्रकार अब आपकी रद्दी को बना रहा है ग्रामीण बच्चों का साहित्य!

By निशा डागर

बिहार में गोपालगंज जिले के लुहसी गाँव से ताल्लुक रखने वाले जय प्रकाश मिश्र, 'फाउंडेशन ज़िंदगी' के संस्थापक हैं। इस फाउंडेशन के बैनर तले, साल 2014 से वे कबाड़ और अन्य लोगों से किताबें इकट्ठा करके, बिहार के गांवों में सामुदायिक लाइब्रेरी खोल रहे हैं। उनका उद्देश्य ज़रुरतमंदों तक किताबें पहुँचाना है।

गुजरात: प्रिंसिपल की इस अनोखी तरकीब से 2 किलो से 500 ग्राम हुआ स्कूल बैग का वजन!

By निशा डागर

गुजरात के अहमदाबाद में भागड सरकारी प्राथमिक स्कूल के 41-वर्षीय प्रिंसिपल आनंद कुमार खलस की एक अनोखी पहल से स्कूल बैग के वजन को काफ़ी कम किया जा सकता है। उन्होंने सभी विषयों के पाठ्यक्रम को सिर्फ़ 10 किताबों में व्यवस्थित किया है। एक ही किताब में सभी विषयों के सिलेबस को एक महीने के हिसाब से लगाया है।

टेलीविज़न के इतिहास की एक बेजोड़ कृति; कैसे बनी थी, श्याम बेनेगल की 'भारत एक खोज'!

By निशा डागर

श्याम बेनेगल हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक हैं। 14 नवंबर 1934 को आंध्र-प्रदेश में जन्में श्याम बेनेगल ने फिल्मों के साथ-साथ टीवी धारावाहिक व डोक्युमेंटरी भी बनाई हैं। उनके द्वारा भारतीय इतिहास पर बना दूरदर्शन का धारावाहिक 'भारत एक खोज' नेहरु की किताब 'डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया' पर आधारित था।

12 किताबे प्रकाशित करने और प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपती से प्रशंसा पाने के बाद भी चाय बेचते है लक्ष्मण राव !

12 किताबे प्रकाशित करने और राष्ट्रपती से प्रशंसा पाने के बाद भी चाय बेचते है लक्ष्मण राव !