साल 1936 के बर्लिन ओलिंपिक के दौरान मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी को हराया था। उनके खेल से प्रभावित होकर नाज़ी तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने उन्हें जर्मन नागरिकता से साथ-साथ जर्मन सेना में एक ऊँचे पद की पेशकश की थी। जिसे ध्यानचंद ने ठुकरा दिया।