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Home घर हो तो ऐसा अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दिल्ली से आ गईं हिमाचल, पुश्तैनी घर को बना दिया ईको-फ्रेंडली होमस्टे

अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दिल्ली से आ गईं हिमाचल, पुश्तैनी घर को बना दिया ईको-फ्रेंडली होमस्टे

दिल्ली की माधवी भाटिया अच्छी-खासी नौकरी छोड़, हिमाचल आ बसीं और अपने पैतृक घर को एक होमस्टे में बदल दिया। 200 साल पहले पत्थर और मिट्टी से बनाए गए शिमला के सबसे पुराने घरों में से एक सनीमीड होमस्टे यहाँ की प्राचीनता व संस्कृति को दर्शाता है।

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Sunnymead FI Final

पहाड़ों पर बारिश जितनी खूबसूरत लगती है, उतना ही शिमला और हिमाचल के लोगों के लिए मॉनसून ख़तरा बनकर भी आता है। 

भारी बारिश में बाढ़, भूस्खलन, और कभी-कभी भूकंप जैसे हालात बन जाते हैं जिससे यहाँ के लोग और पर्यटक के साथ-साथ इन क्षेत्रों में बने घरों पर सबसे ज़्यादा बुरा असर पड़ता है। 

ऐसे हालात में भी शिमला में एक 200 साल पुराना ऐसा घर है, जो बारी बारिश और भूकंप से बिलकुल सुरक्षित है; यह है - सनीमीड होमस्टे। 

View from the balcony of Sunnymead Homestay
हिमाचली होमस्टे- सनीमीड होमस्टे में बालकनी का नज़ारा

इस घर को प्राचीन भारतीय धज्जी देवारी तकनीक से बनाया गया है, जो आज के ज़माने में बहुत कम देखने को मिलती है। 

बुज़ुर्गों की विरासत है हिमाचल का यह अनोखा होमस्टे 

शिमला में स्थित यह होमस्टे कभी दिल्ली की रहने वाली माधवी भाटिया का पुश्तैनी घर हुआ करता था। द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, "1890 के दशक में मेरे परदादा ने यह ज़मीन खरीदी थी और यह घर बनवाया था।" 

वह बताती हैं कि इस घर के डिज़ाइन का आईडिया आर ए 'बंगला' ब्रिग्स की अंग्रेजी वास्तुशिल्प किताब से लिया गया है, जिसकी एक पकॉपी आज भी घर में मौजूद है। 

माधवी के पूर्वजों का बनाया यह घर कई पीढ़ियों से उनकी विरासत बना हुआ है। 2010 में माधवी की आंटी इसकी मालकिन थीं; उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने इसे माधवी की माँ को सौंप दिया और फिर यह माधवी को मिला। 

दिल्ली में आर्किटेक्टर के क्षेत्र में सालों से काम कर रहीं माधवी भाटिया ने इसके बाद अपनी जॉब छोड़ दी और शिमला आकर बसने का फैसला किया। उन्होंने यहाँ आकर अपने इस पुश्तैनी घर को होमस्टे में बदल दिया और इसे सनीमीड होमस्टे का नाम दिया। 

दीवारों से लेकर इंटीरियर तक, सब कुछ है प्राचीन व मजबूत 

घर की काफ़ी देखभाल और मरम्मत के बाद उन्होंने 2011 में सनीमीड में लोगों का स्वागत करना शुरू किया। बिना सीमेंट के बने माधवी के इस होमस्टे में रहकर मेहमान हिमाचल की संस्कृति का करीब से अनुभव कर सकते हैं।

पत्थर, मिट्टी और इस्तेमाल हो चुकी लकड़ी को रीयूज़ करके इस घर को 200 साल पुरानी भारतीय धज्जी देवारी तकनीक से बनाया गया है, जिसकी वजह से यह पूरी तरह ईको-फ्रेंडली और मजबूत है।

This homestay is safe from natural calamities.
पहाड़ की तेज़ बारिश व भूकंप का भी इसपर ज़्यादा असर नहीं पड़ता

पहाड़ की तेज़ बारिश व भूकंप का भी इसपर ज़्यादा असर नहीं पड़ता। 

इस घर की दीवारों पर दोनों तरफ से गीली मिट्टी, गाय के गोबर और पाइन नीडल्स का प्लास्टर किया गया है। इस कारण ठंड के मौसम में भी इसके अंदर का तापमान अनुकूल रहता है और मेहमान आराम से यहाँ ठहर सकते हैं। 

मिलता है हिमाचल के पारंपरिक खान-पान का स्वाद भी 

सनीमीड होमस्टे का फर्नीचर बांस, रीयूज़्ड लकड़ी और पाइन कोन से बनाया गया है। इंटीरियर का काफी सामान भी इस घर की ही तरह प्राचीन है। 

इसके अलावा यहाँ एक खूबसूरत किचन गार्डन है,जहाँ जैविक तरीके से जड़ी-बूटियाँ और फल-सब्जियां उगाई जाती हैं।

पर्यावरण का ध्यान रखते हुए यहाँ सोलर पैनल और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का भी इंतज़ाम किया गया है।

माधवी के पूर्वजों द्वारा बनाया गया यह पारंपरिक घर आज भी मजबूती के साथ खड़ा है और यही सनीमीड होमस्टे की खासियत है; जो इसे शिमला में ठहरने की बाकी जगहों से अलग बनाती है। 

अगर आप भी यहाँ रुकना चाहते हैं तो इनकी वेबसाइट पर विज़िट व बुकिंग कर सकते हैं। 

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