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Home घर हो तो ऐसा विदेश की नौकरी छोड़, भारत में बसाया एक ऐसा फार्म स्टे जहाँ मिलती है देश की मिट्टी की खुशबू

विदेश की नौकरी छोड़, भारत में बसाया एक ऐसा फार्म स्टे जहाँ मिलती है देश की मिट्टी की खुशबू

शिमला की पहाड़ियों में बसा फार्म स्टे ‘हिमालयन ऑर्चर्ड’ भीड़-भाड़ वाले पर्यटक क्षेत्रों से दूर, शांत वातावरण के बीच बनाया गया है। यहाँ आकर मेहमान हिमाचल की लोकल, देसी और सस्टेनेबल लाइफस्टाइल का अनुभव कर सकते हैं।

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विदेश की नौकरी छोड़, भारत में बसाया एक ऐसा फार्म स्टे जहाँ मिलती है देश की मिट्टी की खुशबू

शिमला की वादियों में बसा हिमालयन ऑर्चर्ड अन्य होटलों और होमस्टेज़ से काफ़ी अलग है। यहाँ आने वाले मेहमान घर से दूर रहकर भी बिलकुल घर वाला अनुभव ले सकते हैं; और साथ ही कई नई चीज़ें भी एक्सपीरियंस करते हैं। 

जैसे होस्ट देवांशी और माइकल के साथ खेतों में काम करना, स्थानीय लोगों से लोकल हैंडीक्राफ्ट चीज़ें बनाना सीखना और यहाँ के खिलखिलाते हरे-भरे फार्म और जंगलों की सैर करना।

जितना खूबसूरत यह फार्मस्टे है, उतनी ही सुंदर और दिल को छू लेने वाली है इसे चलाने वाले दंपती की प्रेम कहानी भी!

विदेश की नौकरी छोड़ शिमला में फार्म स्टे चला रहीं देवांशी 

देवांशी से मिलने और भारत आने से पहले ब्रिटेन के रहने वाले माइकल पेशे से एक टीचर थे और यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। 1985 तक वह यूके के अलावा, स्पेन, इटली, नार्थ अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में रहे और उसके बाद जापान में बस गए। 

वहां उनकी मुलाकात हुई हिमाचल प्रदेश के शिमला के पास स्थ्ति एक छोटे से गाँव रुख्ला से आने वाली देवांशी से। शिमला के बोर्डिंग स्कूल से पढ़ीं और चंडीगढ़ से पोस्ट ग्रेजुएट देवांशी भी एक टीचर थीं। 1994 से 2006 तक वह प्राइवेट स्कूल में बच्चों को इंग्लिश लिटरेचर, लैंग्वेज और सोशल साइंस पढ़ाती थीं। इसके बाद, साल 2007 में अपने टीचिंग करियर को आगे बढ़ाने वह जापान चली गईं। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए देवांशी बताती हैं, "हम 2009 में जापान में मिले थे और एक साल बाद हमने शादी की। हम वहां काम करते थे और छुट्टियों के दौरान अपने परिवारों से मिलने ब्रिटेन और भारत जाते थे।"

हिमालयन ऑर्चर्ड में देश-दुनिया से आते हैं मेहमान 

Scenery view from the balcony of Himalayan Orchard farm Stay
प्राकृतिक खूबसूरती से घिरा हुआ है हिमालयन ऑर्चर्ड फार्म स्टे

1930 के दशक में देवांशी के दादाजी ने हिमालय की पहाड़ियों में यह सुंदर फार्म और पारंपरिक हिमाचली घर बनाया था और इसे हिमालयन ऑर्चर्ड का नाम दिया था। 

साल 2012 में अपनी भारत यात्रा के दौरान देवांशी ने महसूस किया कि उनके माता-पिता कई निजी कारणों से इस पारिवारिक ऑर्चर्ड और फार्म की देखभाल कर पाने में असमर्थ थे। ऐसे में देवांशी ने हिमालयन ऑर्चर्ड की बागडोर अपने हाथ में लेने का फैसला किया औरअपने पूर्वजों की संस्कृति व विरासत को आगे बढ़ाने के लिए 2016 में नौकरी छोड़ माइकल के साथ जापान से शिमला आ बसीं। 

आज माइकल और देवांशी मिलकर इस फार्म स्टे में देश-दुनिया से आने वाले मेहमानों का स्वागत कर रहे हैं। 

नेचुरल और खूबसूरत फार्म स्टे 

यहाँ आने वाले मेहमान पत्थर और लकड़ी से बने नेचुरल और पारंपरिक पहाड़ी घर में रहने के अलावा, हिमाचल की संस्कृति को करीब से देख सकते हैं। जंगल में सैर करते हुए सेब, नाशपाती, मशरूम, अंगूर जैसे फल-सब्जी अपने हाथों से तोड़कर इनका स्वाद ले सकते हैं।

पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए यहाँ हर चीज़ ऑर्गेनिक तरीके से उगाई जाती है और सुबह-शाम मेहमानों को केमिकल फ्री व ताज़ा भोजन परोसा जाता है। चीज़ से लेकर जैम और चटनी भी यहाँ किसी केमिकल के बिना हाथों से बनाए जाते हैं।

यहाँ घर के सामने मछलियों से भरा सुंदर तालाब, बालकनी से पहाड़ और सनसेट के सुंदर प्राकृतिक नज़ारे मन मोह लेने वाले हैं। नेचर, हैंड क्राफ्ट, थिएटर, कविता और संगीत का शौक़ रखने वाला यह कपल लोगों को ज़िम्मेदार पर्यटन और सस्टेनेबल जीवन से परिचित करा रहा है। 

देवांशी कहती हैं, "एक-दूसरे के लिए कुछ करने के अलावा, एक साथ पूरी लगन और डेडिकेशन से कोई काम करना भी तो प्रेम है।" 

हिमाचल जाकर होटल में रुकने के बजाय हिमालयन ऑर्चर्ड में वक़्त बिताना एक लाइफटाइम एक्सपीरियंस है। इनसे संपर्क करने के लिए आप हिमालयन ऑर्चर्ड की वेबसाइट  www.himalayanorchard.com पर विज़िट कर सकते हैं।

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