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वीडियो: मानसिक तनाव से जूझ रहे लोगों की मदद करने की एक पहल!

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वीडियो: मानसिक तनाव से जूझ रहे लोगों की मदद करने की एक पहल!

भारत में हर घंटे, करीब 15 लोग अपनी मर्ज़ी से अपनी जान ले लेते है। ये 15 लोग हमारे लिए सिर्फ आंकड़े बन कर रह जाते हैं। इन लोगों की आत्महत्या करने के पीछे की कहानी, इनका दर्द, इन्हीं के साथ कहीं गुम हो जाता है। इनमें से ज़्यादातर लोग मानसिक परेशानियों से ग्रस्त होते हैं। पर चूँकि मानसिक रोग को हमारे देश में रोग समझा ही नहीं जाता, इसीलिए ये लोग बिना कोई चिकित्सा के अन्दर ही अन्दर घुटते-घुटते एक दिन अपनी जान तक ले लेते हैं।

पर जब अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने अपने मानसिक रोग के बारे में चर्चा की, तो डिप्रेशन जैसी मानसिक बिमारी को भी आम बिमारियों की तरह अपनाने की एक पहल हुई।

आप बुखार होने पर बीमार व्यक्ति से ये तो नहीं कहते कि 'तुम अच्छा सोचो और खुश रहने की कोशिश करो तो तुम्हारा बुखार चला जायेगा!' साधारण बुखार या सर्दी होने पर भी जहाँ हम डॉक्टर के पास जाते हैं और दवा लेते हैं, वही डिप्रेशन के शिकार लोगों को अक्सर यही सलाह दी जाती है कि उन्हें खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए। या यह आरोप लगाया जाता है कि वे ज़रूरत से ज्यादा सोचते हैं या डिप्रेशन से निकलने की कोशिश ही नहीं करते।
इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति इस बात को स्वीकार कर ले कि उसे कोई मानसिक रोग है, तो समाज में उसे अलग-थलग भी कर दिया जाता है, जिसके डर से आधे से ज्यादा मरीज़ इस बिमारी को स्वीकार ही नहीं करते।

WHO के एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत, दुनिया का सबसे तनावग्रस्त (डिप्रेस्ड) देश है।

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ज़रूरत है, इन लोगों से बात करने की, इन्हें समझने की और सबसे ज्यादा ज़रुरी है इनकी मदद करने की।

इसी सन्दर्भ में दीपिका पादुकोण द्वारा चलाये जा रहे, 'लिव लाफ लव फाउंडेशन' ने 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर एक वीडियो जारी किया है।

यह वीडियो मानसिक रोग से जूझ रहे उन लोगों की परेशानियों को उजागर करता है, जो आपको अपने आस-पास हँसते खेलते, मुस्कुराते या बातें करते हुए बिलकुल आम लोगों की तरह दिखाई देंगे।

यह वीडियो आपको इनकी ओर संवेदना दिखाने की गुज़ारिश भी करता है। हो सकता है कि आपके एक बार पूछने पर वे आपको मुस्कुरा कर टाल दें.. इसलिए #दोबारा_पूछो!

क्लिनिकल डिप्रेशन को एक धीमे ज़हर की तरह माना गया है। इससे ग्रस्त मरीज़ अक्सर अपने करीबी लोगों को भी कुछ नहीं बताते और इसलिए धीरे-धीरे यह बिमारी उन्हें अन्दर ही अन्दर खा जाती है।

यदि आप ऐसे किसी भी व्यक्ति को जानते हैं, जो मानसिक तनाव से जूझ रहा है तो यहाँ संपर्क करके उनकी मदद कर सकते हैं।

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें [email protected] पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।