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आज से तक़रीबन 13 साल पहले केरल के वायनाड जिले के बाबूराज ने अपने लिए बैम्बू का घर (Bamboo House) बनाने का सपना देखा था। दरअसल पर्यावरण अनुकूल जीवन जीने के लिए वह एक इको-फ्रेंडली घर में रहना चाहते थे। लेकिन उस दौरान उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक समय ऐसा आएगा जब उनके घर की हर जगह चर्चा होगी क्योंकि बैम्बू से बना उनका घर तालाब के ऊपर होगा।
पेशे से शिक्षक और पर्यावरण प्रेमी बाबूराज को प्रकृति के प्रति अपने लगाव के कारण ही एहसास हुआ कि कंक्रीट के घर बिल्कुल सस्टेनेबल नहीं होते। उन्होंने एक सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को अपनाने के फैसला किया। वह बेंगलुरु Uravu नामक संस्था से भी जुड़े हुए थे। यह संस्था पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली बढ़ावा देने के साथ-साथ, बांस से बने घरों और प्रोडक्ट्स पर भी काम करती है।
साल 2007 में, अपने एक डिजाइनर दोस्त अनीश की मदद से, बाबूराज ने बैम्बू से घर (Bamboo House) बनाना शुरू किया।
तक़रीबन तीन साल बाद उन्होंने वायनाड के थ्रिकाइपट्टा (Thrikaipatta) गांव में 3000 वर्ग फुट का एक घर बना कर तैयार किया। केरल के इस गांव को राज्य सरकार ने 'बैम्बू हेरिटेज विलेज' का नाम भी दिया है।
बाबूराज ने बैम्बू रिइंफोर्स्मेंट तकनीक का उपयोग करके इस घर को बनाया है। खास बात यह है कि घर बनाने के लिए तक़रीबन 90 प्रतिशत बैम्बू उन्होंने खुद ही उगाएं हैं।
बाबूराज ने जब घर बनाने के लिए जमीन खरीदा था, तब उन्हें पता चला कि यह खेती के लिए उपजाऊ जमीन है। इसलिए उन्होंने वहां पहले तालाब बनाने का सोचा, जिसके बाद घर का निर्माण तालाब के ऊपर किया गया।
हालांकि, शुरुआत में कई लोगों को लगा कि तालाब के ऊपर पिरामिड शेप का यह घर ज्यादा टिकेगा नहीं लेकिन आज इस घर की खूबसूरती को देखने के लिए लोग आते हैं। बाबूराज को मछली पालन का भी शौक है, इसलिए उन्होंने तालाब में किस्म-किस्म की मछलियां भी रखी हैं।
सिर्फ 29 लाख में बना बाबूराज का यह बैम्बू विला (Bamboo House) गांव का सबसे सुन्दर होम स्टे है। बैम्बू विला के बारे में ज्यादा जानने के लिए यहां क्लिक करें।
संपादन- जी एन झा
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