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Home कर्नाटक पुराने जूते से लेकर टायरों तक को गमले की तरह करतीं हैं इस्तेमाल, मिलें 11 पुरस्कार!

पुराने जूते से लेकर टायरों तक को गमले की तरह करतीं हैं इस्तेमाल, मिलें 11 पुरस्कार!

कलियागिरी में रहने वाली हशमथ फातिमा, करीब 26 साल पहले मैसूरु में अपने घर में रहने आईं थीं और तब से ही उन्होंने गंभीरता से बागवानी शुरू की।

By पूजा दास
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Mysuru woman vertical garden

बागवानी कई लोग करते हैं। कुछ लोगों का यह शौक होता है तो कुछ जगह की सुंदरता बढ़ाने के लिए करते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होतें जिनके लिए यह शौक से बढ़कर एक जुनून की तरह होता है। मैसूर की रहने वाली हशमथ फातिमा ऐसे ही लोगों में से हैं।

फूल-पत्तियों के साथ उनका लगाव कम उम्र में ही शुरू हो गया था और आज की तारीख में, कलियागिरी के उनके घर पर, फूल, पौधे, लताओं और पेड़ों की करीब 40 से अधिक किस्में देखी जा सकती हैं। इनमें से हर पौधे को बड़े ही प्यार से उन्होंने खुद ही लगाया है और वह ही उनकी देखभाल भी करतीं हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए, फातिमा ने बताया कि उन्होंने पूरी गंभीरता के साथ बागवानी करना करीब 26 साल पहले शुरू किया था जब वह मैसूर में अपने घर रहने आई थीं।

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मैसूर निवासी हशमथ फातिमा

उनका घर प्लाट के 40 × 70 फीट के एक छोटे से हिस्से में बना हुआ था जिसमें वह रहती हैं और बाकी के क्षेत्र में बगीचा बनाया है। बगीचे में करीब 800 मिट्टी के गमले हैं। लेकिन एक और भी चीज़ है जो इस बगीचे की खूबसूरती को और भी चार चाँद लगाती है। वह पौधे उगाने के लिए घर में पड़े कई सामानों का इस्तेमाल करतीं हैं। जी हाँ, फातिमा के बगीचे में आप बाँस, पुराने जूते, टायर और बेकार प्लास्टिक की बोतलों का गमले की तरह इस्तेमाल होते देख सकते हैं।

फातिमा ने एक वर्टिकल गार्डन भी बनाया है जहाँ प्लास्टिक की बोतलों में पौधों को लटका कर रखा गया है। यह बेहद ही खूबसूरत नज़र आता है।

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फातिमा के बगीचे की तसवीरें

फातिमा बताती हैं, “मैंने बागवानी पर बहुत सारे चैनल देखे और इंटरनेट पर बागवानी से जुड़े पेजों को भी फॉलो किया, जहाँ से मुझे प्लास्टिक की बोतलें,  पुराने जूते और यहाँ तक कि टायरों में पौधे उगाने का आइडिया भी मिला। अब मुझे इनका इस्तेमाल करते हुए तीन साल हो गए हैं।”

अगर इनके बगीचे में आप चारों ओर नज़र घुमा कर देखेंगे तो आप लोबान और आम के पेड़ के साथ-साथ डहलिया, गेंदा, झिननिया, गुड़हर, बेगोनिया, डेज़ी, रियम और ग्लेडियोला जैसे फूलों के पौधे भी देख सकते हैं।

इन पौधों के साथ बगीचे में मूर्तियाँ, मछलियों का तालाब, पत्थर की बेंच, कंकडों से बनी कलाकृति की व्यवस्था भी की गई है, जो पूरी जगह को और भी आकर्षक बनाते हैं। साथ ही यहाँ एक चिड़िया घर भी बनाया है जिसमें करीब 50 से ज़्यादा लव बर्ड्स रहते हैं।

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फातिमा बताती हैं, “कुछ पेड़ और पौधे तो सदाबहार हैं लेकिन ज्यादातर फूलों के पौधे मौसमी हैं। मैं पौधों के लिए केवल प्राकृतिक रूप से बनाई गई खाद का ही इस्तेमाल करती हूँ। पहले तो खुद ही मैं इसे तैयार करती थी लेकिन अब इस काम में मदद के लिए मैंने एक माली रखा है क्योंकि मैं एक बुटीक भी चलाती हूँ, जिसमें बहुत समय लगता है। फिर भी मैं हर दिन करीब दो घंटे तक बगीचे में अपने पौधों के साथ वक्त ज़रूर बिताती हूँ। "

फातिमा अपने बगीचे का विशेष रूप से ध्यान रखती हैं। यही कारण है कि उन्हें मैसूर हॉर्टिकल्चरल सोसाइटी द्वारा आयोजित दशहरा फ्लावर शो के, ‘होम गार्डन सीरीज़’ में लगातार ग्यारहवीं बार शीर्ष सम्मान प्राप्त हुआ है!

अक्सर लोग उनके बगीचे को देखने और उनसे बागवानी के टिप्स लेने के लिए उनके घर पहुँच जाते हैं। ऐसे लोगों की मदद करके फातिमा को बेहद खुशी मिलती है।

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फातिमा बताती है, “बागवानी के प्रति रूचि रखने वाले गुलबर्गा, भटकल, हैदराबाद और कई अन्य दूर-दराज शहरों के लोगों ने बगीचे के रखरखाव के बारे में सुझाव लेने के लिए मुझसे संपर्क किया है। बागवानी में हाथ आज़माने वाले लोगों की मदद करके मुझे काफी खुशी होती है।”

अपनी बात के अंत में वह कहती हैं कि उनके बगीचे की खूबसूरती देखने का सबसे अच्छा समय दशहरा उत्सव के दौरान होता जब लगभग सभी पौधे फूलों के साथ अपने बेहतरीन रंग में होते हैं।

यदि आप बागवानी में रूचि रखते हैं और मैसूर के आस-पास से गुज़र रहे हैं, तो एक अलग तरह के अनुभव के लिए फातिमा के फूलों के बगीचे पर ज़रूर जाएँ।

आप उन्हें कैसे ढ़ूंढेंगे, इसकी चिंता ना करें। वह और उनका बगीचा शहर भर में प्रसिद्ध है और उनके दरवाजे पौधों और फूलों के प्रेमियों के लिए हमेशा खुले हैं।

फोटो साभार-हशमथ फातिमा

संपादन- पार्थ निगम

मूल लेख-LEKSHMI PRIYA S

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