सफलता और सपनों को पूरा करने की ज़िद से जुड़ी सारी कहानियां और कविताएं मानो, प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के लालगंज गांव के मिश्रा परिवार के चिरागों के लिए ही बनी हैं। इस परिवार के चार भाई-बहनों में से एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, बल्कि चारों ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा पास कर कमाल ही कर दिया।
यूं तो यूपीएससी एग्जाम क्रैक करना किसी के लिए भी एक सपना होता है, लेकिन जब एक ही परिवार के सभी बच्चे यह सफलता हासिल करते हैं, तो परिवार की ख़ुशी और गर्व का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं।
इन चार होनहारों के पिता अनिल प्रकाश मिश्रा, लालगंज में ही एक ग्रामीण बैंक में मैनेजर हैं। एक अच्छे-खासे बड़े परिवार का मुखिया होने के नाते, उन्होंने भले ही अपने सभी बच्चों को ज्यादा सुविधाएं न दी हों। लेकिन सपने देखने और आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया।
बहनों की उदासी ने भाई को दिखाई UPSC की राह
सफर साल 2012 में शुरू हुआ था। जब रक्षा बंधन में ये सभी अपने गांव आए थे। उस दौरान योगेश, सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम कर रहे थे। योगेश ने जब देखा कि उनकी दोनों बहनें क्षमा और माधवी UPSC की परीक्षा में असफल होने के कारण काफी उदास थीं। तभी बड़े भाई योगेश ने उनकी मदद करने का फैसला किया और खुद भी UPSC की तैयारी करने लगे, ताकि वह अपने छोटे भाई-बहनों की भी पढ़ा सकें।
साल 2013 में उन्होंने नौकरी छोड़कर, आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखा, साथ ही उन्होंने अपनी दो बहनों और छोटे भाई को नोट्स और कोचिंग भी दी। इस तरह 2015 में, माधवी ने परीक्षा पास की और आईएएस अधिकारी बन गईं। एक साल बाद ही क्षमा और लोकेश दोनों ने परीक्षा पास की, जो आज आईपीएस और आईएएस अधिकारी हैं।
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पूरे गांव को है इनपर गर्व
एक छोटे से गांव में रहते हुए उनके पास ज्यादा साधन भी नहीं थे। इन सभी भाई बहनों ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से ही पूरी की है। योगेश बताते हैं कि साल 2011 में यूपीएससी परीक्षा पैटर्न में बदलाव ने उनकी काफी मदद की। क्योंकि, उस साल से यूपीएससी सीएसई के एक भाग के रूप में सीएसएटी (सिविल सेवा योग्यता परीक्षा) की शुरुआत की गई थी।
योगेश के छोटे भाई लोकेश भी IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके नौकरी कर रहे थे। लेकिन अपने भाई-बहनों को सिविल सेवा की तैयारी करते देख उन्होंने भी एक बार प्रयास करने का फैसला किया। जबकि दोनों बहनें क्षमा और माधवी हमेशा से सिविल सेवा से ही जुड़ना चाहती थीं।
फ़िलहाल, माधवी झारखंड में रामगढ़ के विकास आयुक्त (डीसी) के पद पर तैनात हैं और लोकेश, झारखंड में कोडरमा के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) के रूप में काम कर रहे हैं। वहां, क्षमा कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस (केएसआरपी) की तीसरी बटालियन के कमांडेंट के रूप में तैनात हैं।
इसके अलावा, उन्होंने एक यूट्यूब चैनल ‘ग्लोरी आईएएस’ भी लॉन्च किया है, जहां वे सिविल सेवा के उम्मीदवारों की मदद करने के लिए टिप्स और ट्रिक्स पोस्ट करते हैं। न सिर्फ अपने परिवार बल्कि इन चारों ने अपनी सफलता से पूरे गांव में एक मिसाल कायम की है। आप उनका चैनल यहां देख सकते हैं।
संपादन : अर्चना दुबे
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