मोटर मैकेनिक पिता ने खूब पढ़ाया, हाई कोर्ट में जज बनकर बेटे ने भी मान बढ़ाया

दासपा, राजस्थान के बाबूलाल सुथार को अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी तब मिली, जब उनका बेटा रवींद्र सुथार हाई कोर्ट में जज बना। पढ़ें इनकी सफलता की प्रेरणादायी कहानी।

Ravindra suthar success story

कड़ी मेहनत और लगन के दम पर कोई भी लक्ष्‍य हासिल किया जा सकता है। फिर चाहे राह में कितनी भी परेशानियां क्यों न हों! राजस्‍थान के जालोर जिले के दासपा गांव में रहने वाले रवींद्र सुथार इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने हाल ही में गुजरात में हाई कोर्ट जज की नौकरी हासिल की है। 

उनकी सफलता के पीछे सिर्फ़ उनकी मेहनत ही नहीं, बल्कि उनके पिता का त्याग भी शामिल है। रवींद्र का परिवार मूल रूप से राजस्‍थान के पाली जिले का रहने वाला है। सालों से उनके पिता बाबूलाल सुथार, मोटर रिपेयरिंग का काम करते हैं। उन्होंने आर्थिक समस्याओं के बावजूद, अपने बेटे को पढ़ने-लिखने का पूरा मौक़ा दिया और नतीजा हम सबके सामने है।

गुजरात ज्‍यूडिशिल सर्विस परीक्षा में रवींद्र ने पांचवीं रैंक हासिल करके पूरे परिवार की मेहनत सफल कर दी। 21 अक्‍टूबर 2022 को आए रिजल्ट में हाई कोर्ट जज के पद के लिए उनका चयन हुआ, जिसके बाद उनके घर में बधाइयां देने वालों का तांता लग गया। 

पिता से मिला शिक्षा का अनमोल तोहफ़ा और बन गए हाई कोर्ट जज

Ravindra Suthaar Success Story
Ravindra with his Parents

गुजरात में हाई कोर्ट जज बने रवींद्र ने साल 2018 में निरमा यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की डिग्री ली। फिर गुजरात हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। वकालत के साथ-साथ वह गुजरात न्‍यायिक सेवा भर्ती परीक्षा की तैयारी भी करते रहे। उनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि पहले ही प्रयास में पांचवीं रैंक के साथ उनका चयन हो गया।

आज इस सफलता में तारीफ़ के जितने हक़दार रवींद्र हैं, उतने ही उनके पिता भी हैं। रवींद्र के दो भाई और एक बहन हैं। खुद मोटर रिपेयरिंग करके घर ख़र्च चलाने वाले पिता ने बच्चों के शिक्षा की ओर बढ़ते कदम कभी नहीं रोके। यही वजह है कि उनका सबसे बड़ा बेटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। दूसरा बेटा होम मिनिस्ट्री में नौकरी कर रहा है, जबकि तीसरे और सबसे छोटे बेटे रवींद्र ने हाई कोर्ट जज की कुर्सी हासिल की। वहीं, उनकी बेटी भी एक निजी कंपनी में जॉब कर रही है। 

आर्थिक तंगी में भी मुश्किलों को मेहनत और मजबूत इच्छा शक्ति से हराया जा सकता है, इसका बढ़िया उदाहरण है पूरा सुथार परिवार। 

पूरे परिवार को द बेटर इंडिया की ओर से ढेरों बधाई। 

संपादन- भावना श्रीवास्तव 

यह भी देखेंः चार बार फेल होने के बावजूद नहीं मानी हार, IAS संजीता मोहापात्रा ने हासिल की सफलता

Related Articles
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe