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‘लुधियाना का ग्रीन मैन’: इस IRS अफ़सर ने एक साल में लगा दिए 25 छोटे जंगल!

साल 2011 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब का लुधियाना शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में चौथे नंबर पर था। पर अब आठ साल बाद, ये आकंडे बड़े बदलाव की कहानी कह रहे हैं क्योंकि इस साल के सर्वेक्षण के मुताबिक, अब लुधियाना का नंबर 95वां है।

इस स्थिति को सुधारने में बहुत-से अभियानों और पहलों का योगदान रहा है। शहर में पोल्यूशन चेक सिस्टम लगाने से लेकर हरियाली बढ़ाने तक, सभी तरह के कदम काम आये हैं। इस पूरे बदलाव में लुधियाना के आईआरएस अफ़सर रोहित मेहरा का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है।

पिछले दो सालों में उन्होंने शहर में 25 छोटे जंगल उगाये हैं। 500 स्क्वायर फीट से लेकर 4 एकड़ तक की ज़मीन पर उगे इन जंगलों ने ग्रीन कवर को बहुत हद तक बढ़ाया है और साथ ही, हवा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।

अपने काम की शुरुआत उन्होंने लुधियाना रेलवे स्टेशन पर सफलता पूर्वक वर्टीकल गार्डन लगाने से की। इसके बाद उन्हें, ‘लुधियाना का ग्रीन मैन’ नाम दिया गया और अब तक उन्होंने शहर में 75 वर्टीकल गार्डन लगाए हैं।

“लोगों को इस वर्टीकल गार्डन का पता चला और उन्होंने मुझसे अपनी खाली पड़ी जगहों में गार्डन लगवाने के लिए संपर्क करना शुरू किया,” 41 वर्षीय रोहित ने द बेटर इंडिया को बताया। उन्होंने आगे कहा कि लुधियाना से लगभग 40 किमी दूर स्थित जगराँव से उन्हें एक इंडस्ट्रियलिस्ट ने अपनी 6, 000 स्क्वायर फीट ज़मीन पर जंगल लगाने के लिए बुलाया।

IRS Rohit Mehra

“यह इंडस्ट्रियलिस्ट एक राइस ब्रान आयल फैक्ट्री चलाता है और जिस इलाके में फैक्ट्री है, वह बहुत प्रदूषित है। इसलिए इस प्रदुषण को वे पेड़ लगाकर कम करना चाहते थे,” उन्होंने बताया।

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सब जानते हैं कि लुधियाना एक इंडस्ट्रियल हब है और इसलिए यहाँ प्रदुषण भी काफ़ी है। बहुत बार तो स्कूलों को लगातार तीन-चार दिन की छुट्टी करनी पड़ती है। जब रोहित को यहाँ पर जंगल लगाने के लिए आमंत्रण मिला तब उन्हें इस विषय में ज़्यादा नहीं पता था। लेकिन फिर उन्होंने इस पर काफ़ी रिसर्च किया कि कैसे कम समय में जंगल उगाया जा सकता है।

मियावाकी तकनीक और वृक्षायुर्वेद 

अपनी रिसर्च के दौरान उन्हें जापान की मशहूर ‘मियावाकी तकनीक’ के बारे में पता चला। जल्दी पेड़-पौधे उगाने की तकनीकों के बारे में अपने ज्ञान को और बढ़ाने के लिए उन्होंने प्राचीन भारतीय लेख भी पढ़े जैसे वृक्षायुर्वेद, जिसमें पेड़-पौधों और जंगलों को उगाने की तकनीकों बारे में बताया गया है।

A number of people joined the Plantation Drive

“दिलचस्प बात यह है कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी मियावाकी तकनीक की प्रक्रियाओं के बारे में लिखा गया है। ज़मीन को 2.5 फीट की गहराई तक खोदा जाता है और फिर इसमें पत्तियों, गोबर और अन्य तरह की खाद से तैयार मिश्रण को मिलाया जाता है। यहाँ तक कि कृषि में बचे भूसी और पराली को भी ज़मीन की उर्वरकता बढ़ाने के लिए मिलाया जाता है,” उन्होंने आगे कहा।

इसके बाद, अलग-अलग वैरायटी के पेड़-पौधों को टेढ़े पैटर्न में लगाया जाता है। इसमें ज़्यादातर देशी पेड़ जैसे कि नीम, आमला, हरड़, बेल, अर्जुन, मोरिंगा, गुलमोहर, बरगद और कनेर आदि को लगाया जाता है।

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रोहित के काम को देखते हुए कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) ने भी उनके साथ लुधियाना के प्रदूषित इलाकों में यह जंगल उगाने के लिए टाई-अप किया। इन 25 जंगलों में लगभग 7-8 जंगल प्रदूषित इलाके में हैं।

they have conducted plantation drive in gurudwara

सिर्फ़ इस एक इंडस्ट्रियलिस्ट ने ही नहीं बल्कि और भी लोगों और संगठनों ने उन्हें उनके यहाँ जंगल लगाने के लिए एप्रोच किया। एक व्यवसायी ने उनसे अपने फार्महाउस के डेढ़ एकड़ ज़मीन में जंगल उगाने के लिए अपील की क्योंकि उनकी माँ को फेफड़ों की बीमारी थी और उनके लिए वे स्वच्छ हवा चाहते थे।

गुरु नानक देव के 550वे जन्मदिन पर रोहित ने लुधियाना के गुरुद्वारा दुखनिवारण में भी एक छोटा-सा जंगल उगाया है और इसे नानक-वन नाम दिया है। उनके इस काम में अलग-अलग संगठन, इंडस्ट्रीज और एनजीओ के वॉलंटियर्स मदद करते हैं। इससे एक सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता की भावना बनती है।

अन्य काम और चुनौतियाँ?

लोगों के साथ के बावजूद, शहरी इलाकों में जंगल उगाने के लिए खाली जगह ढूँढना बहुत मुश्किल है। साथ ही, कुछ लोगों को यह समझाना कि ये जंगल, घास से भरे हुए फार्महाउस से कहीं ज़्यादा बेहतर हैं। पर फिर रोहित लगातार इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

इसके अलावा, रोहित अन्य पहलों पर भी काम कर रहे हैं जैसे वे स्कूल-कॉलेज के बच्चों के साथ मिलकर सीड बॉल बनवाते हैं। खाद, मिट्टी, बीज और पोषक तत्वों को मिलकर यह सीड बॉल बनायीं जाती हैं।

Children, adults as well as the senior citizens, everyone is inspired from Rohit’s initiative

“एक स्थानीय क्रिकेट लीग के साथ भी हमारा काम काफ़ी दिलचस्प रहा जहां टूर्नामेंट का विजेता सिर्फ़ टीम के रन स्कोर से नहीं, बल्कि इस बात से घोषित किया गया कि किस टीम ने कितने सीड बॉल बनाये हैं,” उन्होंने बताया। रोहित पूरे देश में बच्चों और बड़ों को हरियाली के प्रति जागरूक करने के लिए दौरे भी करते हैं।

“हम वाकई एक टाइम बम में रह रहे हैं, जहाँ जो पानी हम पीते हैं, जो खाना हम खाते हैं और जो हवा सांस के लिए हम ले रहे हैं, सब दूषित है। मैं लोगों को पर्यावरण की महत्वता के बारे में बताते हुए जागरूक और प्रेरित करना चाहता हूँ। अगले पांच सालों में, मैं पूरे देश में ऐसे 5, 000 जंगल उगाना चाहता हूँ,” उन्होंने अंत में कहा।

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लुधियाना के इस आईआरएस अफ़सर की पहल यकीनन काबिल-ए-तारीफ़ है। उम्मीद है कि यह पूरे देश के लिए एक उदाहरण बने!

मूल लेख: अंगारिका गोगोई

संपादन – मानबी कटोच 


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