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Home अनमोल इंडियंस बस्तर इलाके से पहले IAS बनने वाले विनीत, अब शिक्षा से बदल रहे यहां की तस्वीर

बस्तर इलाके से पहले IAS बनने वाले विनीत, अब शिक्षा से बदल रहे यहां की तस्वीर

मिलिए दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़ के IAS अधिकारी विनीत नंदनवार से, जिन्होंने बस्तर जैसे नक्सली इलाके में रहते हुए IAS अधिकारी बनकर, न सिर्फ अपना भविष्य सुधारा बल्कि आज वह अपने जैसे कई नौजवानों के सपने साकार करने में मदद कर रहे हैं।

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Vinit Nandanwar

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावी इलाके से ताल्लुक रखने वाले राहुल डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं, लेकिन घर के आर्थिक हालातों के कारण JEE, NEET जैसी परीक्षा के लिए कोचिंग करना उनके लिए आसान बात नहीं थी। लेकिन इस साल उन्होंने NEET की परीक्षा पास करके अपने सपनों की उड़ान भरना शुरू कर दिया है और यह सबकुछ मुमकिन हुआ, बस्तर के कलेक्टर IAS विनीत नंदनवार की 'दूसरा मौका' पहल के कारण।  

राहुल अकेले नहीं हैं बल्कि उनके जैसे करीबन 65 बच्चों ने सरकार की ओर से चलाए जा रही 'छू लो आसमान' मुहिम से जुड़कर NEET, JEE परीक्षा पास की है।  इन 65 बच्चों में से ज्यादातर ऐसे बच्चे थे जो एक बार में NEET की परीक्षा पास करने में चूक गए थे। इनको दूसरा मौका देने का फैसला करके, IAS विनीत ने मानो एक अनोखी ही शिक्षा की क्रांति शुरू की है।  

IAS विनीत चाहते थे कि नक्सल इलाके के ये बच्चे सुविधा के अभाव ने अपने सपने पूरे करने से वंचित न रहें। दरअसल वह खुद भी बस्तर इलाके से ताल्लुक रखने वाले पहले IAS हैं। यही कारण है कि उन्हें अपने इलाके की परेशानियों की पूरी जानकारी है। 

जब उनका तबादला यहां हुआ तो उन्होंने 'छू लो आसमान' सरकारी योजना में बदलाव करके एक 'दूसरा मौका' मुहिम की शुरुआत की। इसका बेहतरीन परिणाम देखने को मिला।

IAS vinit Nandanwar

खुद चौथे प्रयास में पास किया IAS 

विनीत की खुद की कहानी भी काफी संघर्षों से भरी है। सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने वाले विनीत को बचपन में अंदाजा भी नहीं था कि आखिर IAS बनते कैसे हैं। वह सिर्फ कलेक्टर बनने का सपना लिए घर से उच्च शिक्षा के लिए निकल गए थे। बाद में उन्होंने UPSC की तैयारी करना शुरू किया। 

घर के हालात उन्हें नौकरी करने के लिए मजबूर कर रहे थे। लेकिन उन्होंने कभी भी कठिन परिस्थिति में हार नहीं मानी और कोशिश करना नहीं छोड़ा। नौकरी के लिए उन्होंने शिक्षा कर्मी की परीक्षा भी दी थी लेकिन वह उसमें भी असफल रहे। 

लेकिन फिर भी अपने जज़्बे को कमजोर नहीं होने दिया। उनकी इसी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने अपने चौथे प्रयास में UPSC पास किया और आखिरकार कलेक्टर बन ही गए। विनीत अब शिक्षा की इसी शक्ति से नक्सल इलाके की तस्वीर बदलने की कोशिश में लगे हैं। 

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