6 सितम्बर 2022 से कल्याण (महाराष्ट्र) रेलवे स्टेशन के पास एक अनोखी रसोई ‘गरीब की थाली’ की शुरुआत हुई है। यहां आस-पास के अस्पताल में इलाज कराने आए मरीज़ों के परिजनों और स्टेशन के पास रहनेवाले कई ज़रूरतमंद लोगों को मात्र एक रुपये में नाश्ता और 10 रुपये में दोपहर और रात का खाना खिलाया जाता है।
पहले ही दिन इस रसोई में क़रीबन 270 लोगों ने खाना खाया था। मात्र एक हफ्ते में ही यह जगह कई लोगों के लिए भोजन का आसरा बन गई है। दिलचस्प बात यह है कि इसे किसी बड़ी ट्रस्ट या सरकार की किसी योजना के तहत नहीं, बल्कि मुंबई की ख्वाहिश फाउंडेशन की ओर से चलाया जा रहा है।
यह संस्था 5000 किन्नरों का एक संगठन है। ये सभी किन्नर अपनी कमाई का एक हिस्सा जमा करके ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए इस रसोई को चला रहे हैं। गरीब की थाली की शुरुआत का आईडिया कोरोनाकाल के दौरान, ख्वाहिश फाउंडेशन की अध्यक्षा पूनम अम्मा के मन में आया था।
वह कहती हैं, “हमने कोरोना के समय देखा है कि भूख आज के समय का सबसे बड़ा संकट है। हम खुद अपने भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर थे। इससे हमें गहरा सदमा पहुंचा था। तब से हम, लोगों की मदद करने का तरीका खोज रहे थे। इसी सोच के साथ मैंने ट्रांस समुदाय के लोगों के साथ मिलकर इस विचार को आगे बढ़ाया।”
पूनम अपनी इस संस्था के ज़रिए दो सालों से अलग-अलग क्षेत्र में मदद पहुंचाने का काम कर रही हैं।
‘गरीब की थाली’ में हर दिन 500 लोगों को खाना परोसा जाता है
पूनम अम्मा ने संस्था के सेक्रेटरी समीर शेख के साथ मिलकर कल्याण स्टेशन के पास एक जगह किराये पर ली, जहां उन्होंने लोगों के बैठने के लिए जगह की व्यवस्था की और काम की शुरुआत कर दी। समीर एक साल से इस संस्था से जुड़े हैं।
उन्होंने बताया, “यह संगठन पूरे महाराष्ट्र में लगभग 4,000 बच्चों की मदद कर रहा है। हम ब्यूटी पार्लर , सिलाई और कंप्यूटर तालीम भी देते हैं। समाज अक्सर ट्रांस कम्युनिटी के बारे में गलत सोचता है। हमारी धारणा है कि वे केवल ‘चीजें’ (पैसे) ले सकते हैं और बदले में कभी कुछ नहीं दे सकते हैं। लेकिन यह रसोई उनका समाज को कुछ वापस देने का एक बढिया तरीका है।”
हाल में गरीब की थाली को कई लोगों की मदद भी मिल रही है। लोग उन्हें राशन से लेकर सब्ज़ी और ढेरों चीज़ें दे रहे हैं। संगठन के सदस्य और लोगों की मदद से यहां हर दिन करीब 500 लोग नियमित रूप से खाना खा रहे हैं। संगठन के लोग ही यहां खाना बनाने और परोसने का काम करते हैं। समीर का कहना है कि आने वाले समय में हम ऐसी ही कई और ‘गरीब की थाली’ शुरू करने वाले हैं।
यह भी पढ़ें –एक लेखक की 26 साल की मेहनत और 30 लाख पेड़ों से बना ‘भालो पहाड़’
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: