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यह कहानी कर्नाटक के बोम्मई एन वास्तु की है, जिन्होंने एक ऐसे रोटीमेकर का निर्माण किया है जो एक घंटे में लगभग 200 चपाती तैयार करता है। चित्रदुर्ग स्थित होसादुर्ग के रहने वाले बोम्मई एन वास्तु ने जब देखा कि उनकी मां को रोटी बनाने में दिक्कत हो रही है तो उन्होंने यह नायाब चीज बना डाली।
बोम्मई ने द बेटर इंडिया को बताया कि उन्हें उस वक्त बहुत तकलीफ होती थी, जब वह अपनी मां को रोटी बेलते और उसे सेकते देखते थे। उन्हें यह प्रक्रिया बहुत थकाने वाली लगती थी। यह देखकर ही उन्हें रोटीमेकर बनाने का ख्याल आया। बोम्मई के रोटीमेकर की खास बात यह है कि यह सोलर पावर के साथ ही अल्टरनेटिंग करंट पर भी चलता है। चलाने में बेहद आसान छह किलो की इस मशीन की लागत 15 हजार रुपये है। इसका आकार इंडक्शन स्टोव जैसा है।
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कुकिंग टाइम और मेहनत दोनों बचाने वाली बोम्मई की इस मशीन को बेहद सराहा गया। उन्होंने केवल रोटीमेकर ही नहीं बनाया बल्कि इसके अलावा भी उन्होंने कई ऐसी चीजें तैयार की है जिससे आम आदमी की जिंदगी आसान हो सकती है। आईए एक नजर डालते हैं बोम्मई के अन्वेषणों पर।
प्रदूषण कम करने वाला कोयले का स्टोव
बोम्मई एन वास्तु ने एक ऐसा कोयला स्टोव तैयार किया है, जो परंपरागत कुकिंग के तरीकों के मुकाबले 80 फीसदी कम प्रदूषण उत्पन्न करता है। इसके बारे में बोम्मई बताते हैं कि ऐसा इसमें लगे एयर फिल्टर और सिलिकॉन के टुकड़े की वजह से होता है। इसकी लागत करीब ढाई हजार रुपये है। बोम्मई बताते हैं कि यह स्टोव बनते ही उन्होंने इस स्टोव के करीब सौ यूनिट बेच दिए। उन्होंने इसमें कूलिंग फैन लगाकर इसे अपग्रेड भी किया है। उनके इस स्टोव की आस पास के क्षेत्र में बहुत मांग है। इस स्टोव ने महिलाओं की दिनचर्या को बदला है।
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110 सीसी का इंजन का टिलर
बोम्मई बताते हैं कि जब उन्होंने किसानों को खेत की जुताई में आने वाली दिक्कतों को देखा तो उन्हें टिलर बनाने का ख्याल आया। ऐसे में उन्होंने 110 सीसी का इंजन लगाकर खेती में मदद करने वाला टिलर तैयार कर दिया। उनके इस अन्वेषण को साथी किसानों ने बहुत सराहा। खास तौर पर ऐसे किसान जिनके पास ट्रैक्टर खरीदने के लिए पर्याप्त राशि नहीं थी, उन्होंने इस टिलर को हाथों हाथ लिया। अब एक और शक्तिशाली इंजन लगाकर बोम्मई इस टिलर को अपग्रेड करने के काम में जुटे हैं, ताकि इसकी क्षमता बढ़ सके और इसकी वजह से किसानों, खेतिहरों को भी अधिक से अधिक लाभ पहुंच सके।
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पानी मिक्स पेट्रोल से चलने वाली बाइक पर कर रहे काम
बोम्मई बताते हैं कि इस वक्त वह अपनी वर्कशॉप में पानी मिक्स पेट्रोल से चलने वाली बाइक पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस तरह से इस वक्त पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं यदि यह बाइक ट्रायल में सफल होती है तो इससे पेट्रोल की हर रोज बढ़ रही कीमतों से जूझ रहे लोगों को बहुत राहत मिलेगी। कंपनी के प्रतिनिधियों ने भी इस बाइक के उनके आइडिया में दिलचस्पी दिखाई है। अब उनका सारा फोकस इस पानी मिक्स पेट्रोल से चलने वाली बाइक 300 किलोमीटर तक ट्रायल पर लगा है। बोम्मई कहते हैं, “मैंने इसे तैयार करने में बहुत मेहनत की है, अब ईश्वर से कामना करते हैं कि ट्रायल कामयाब रहे।”
सेरीकल्चर का कोर्स किया, लेकिन काम अपनी पसंद का
औपचारिक शिक्षा की बात करें तो बोम्मई ने 10+2 तक पढ़ाई की। इसके बाद नौकरी की संभावना देखते हुए उन्होंने सेरीकल्चर में एक रोजगारपरक कोर्स भी किया, लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र में कदम आगे नहीं बढ़ाया। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्हें लगा कि वह इसके लिए नहीं बने हैं। उनका ध्यान अपने मनपसंद काम यानी हमेशा नई नई चीजों को बनाने की ओर रहा। बोम्मई कहते हैं कि उन्होंने गांव के लोगों को मामूली सुविधाओं के लिए भी परेशान देखा। वह बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाली परेशानियां ही उन्हें उनका हल सुझाने के लिए प्रेरित करती हैं। वह गांव वालों के जीवन को इन परेशानियों से मुक्त करने और उनका जीवन आसान बनाने के तमाम उपायों को ही सबसे बड़ा काम मानते हैं।
आइडिया को वर्कशॉप में पहनाते हैं अमली जामा
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उम्र के 45 वसंत देख चुके बोम्मई एन की साइकिल की दुकान के साथ ही अपनी एक वर्कशॉप है। वर्कशॉप ही वह जगह है, जहां वह हमेशा नई चीजों के बारे में सोचते हैं और अपनी सोच को अमली जामा पहनाने का काम करते हैं। उन्हें अच्छा लगता है, जब उनके अन्वेषण से लोगों के चेहरों पर खुशी आती है और उनकी परेशानी दूर होती है। बोम्मई अपने बच्चों को भी रचनात्मक कार्यों में हिस्सा लेने पर जोर देते हैं। उनका कहना है कि स्कूल में पढ़ाई अपनी जगह महत्वपूर्ण है और उसको व्यावहारिक बनाकर जीवन में उतारना और भी महत्वपूर्ण।
सौ फीसदी प्रयास करें, सफलता जरूर मिलेगी
बोम्मई का मानना है कि यदि आप अपने मनपसंद काम में मेहनत करते है तो आपको सफलता जरूर मिलेगी। वह कहते हैं, “इंसान वहां असफल होता है, जब वह 100 फ़ीसदी प्रयास नहीं करता है और केवल कामयाबी की चाह रखता है। लेकिन यहां सबसे ज्यादा जरूरत प्रयासों की है। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है।”
तसवीरें साभार- बोम्मई एन वास्तु
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