अब 5 चिप्स के पैकेट्स से बन जाएगा आपका इको फ्रेंडली चश्मा, यकीन नहीं आता तो देख लीजिए

eco-friendly sunglasses from chips packets

पुणे में एक सोशल एंटरप्राइज़ चलानेवाले अनीश मालपानी ने दो साल की रिसर्च के बाद, मल्टी-लेयर प्लास्टिक को रीसायकल करके ट्रेंडी सनग्लासेज़ बनाने का एक तरीका खोज निकाला है।

क्या आप जानते हैं कि चिप्स के जिन पैकेट्स को आप डस्टबिन में डालते हैं, उसे रीसायकल करना लगभग नामुमकिन है। यानी इस्तेमाल के बाद ये हमारे पर्यावरण में ही रहकर इसे दूषित कर रहे हैं। लेकिन अब इन प्लास्टिक्स से सनग्लासेज़ बनाए जा रहे हैं। पुणे में ‘आशाया’ नाम से एक सोशल स्टार्टअप चला रहे, अनीश मालपानी की मानें तो इन मल्टी-लेयर प्लास्टिक्स का रीसाइक्लिंग अनुपात एक प्रतिशत से भी कम है।  

इसी समस्या के समाधान के लिए वह पिछले दो सालों से काम कर रहे हैं और आख़िरकार, उन्होंने चिप्स के पैकेट्स में इस्तेमाल होने वाले मल्टी-लेयर प्लास्टिक को रीसायकल करने का ज़बरदस्त तरीका खोज निकाला। पुणे की अपनी लैब में ही उन्होंने रीसाइकल्ड प्लास्टिक से सनग्लासेज़ बनाए हैं, जो दुनिया में अपनी तरह के पहले सनग्लासेज़ हैं। 

Plastic waste to Sunglasses
Plastic waste to Sunglasses

उनकी सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लॉन्च के एक हफ्ते बाद ही उन्होंने 500 से ज़्यादा सनग्लासेज़ बेच भी दिए। चिप्स के पांच पैकेट को रीसायकल करके बना यह एक चश्मा फैशनेबल और टिकाऊ है। 

प्लास्टिक समस्या का बढ़िया समाधान है WITHOUT सनग्लासेज़

आशाया फ़िलहाल, इस तरह की तकनीक रखने वाली दुनिया की पहली कंपनी है। उनकी लैब ने एक माइक्रो-पायलट प्लांट भी बनाया है, जो हर दिन 5 किलो MLP को रीसायकल कर सकता है। इसके लिए ज्यादातर चिप्स या बिस्किट के पैकेजिंग का उपयोग किया जाता है।

इस कंपनी को उन्होंने सोशलअल्फा और स्टार्टअप इंडिया सीड फंड की मदद से शुरु किया था। वहीं अपने सफल प्रयास और सनग्लासेज़ की ज़बरदस्त सफलता के बाद अनीश आने वाले समय में एक बड़ा प्लांट लगाने का विचार कर रहे हैं। 

Anish and his team
Anish and his team

आज वह वेस्ट मैनेजमेंट की गंभीर समस्या पर काम करने के साथ-साथ, कचरा उठाने वाले लोगों को भी कमाई का एक ज़रिया  दे रहे हैं।  

अनीश इस काम से जुड़े रैगपिकर्स के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक प्रीमियम दाम पर इन चिप्स के पैकेट्स को खरीदते हैं और इससे बने चश्मे की सेल्स का 10 प्रतिशत भाग बच्चों की पढ़ाई पर खर्च होता है। 

चिप्स के पैकेट्स से बने सनग्लासेज़ फ़िलहाल, WITHOUT ब्रांड नाम के साथ उनकी खुद की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। आप इस कमाल के इनोवेशन के बारे में ज़्यादा जानने के लिए  उनकी वेबसाइट पर संपर्क कर सकते हैं। 

संपादनः अर्चना दूबे

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