न कोई बड़ी डिग्री न ज्यादा साधन, फिर भी स्कूल से मिली साइकिल को बदल दिया ई-बाइक में

सरायकेला, झारखंड के बासुरदा गांव में रहनेवाले कामदेव पान ने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई गांव से ही की है। मशीनों से उन्हें बेहद लगाव है, उन्होंने खुद की सूझ-बूझ से एक साइकिल को ई-स्कूटर में बदला है और राज्य भर में इतने मशहूर हो गए कि उन्हें आज मुंबई की बड़ी कंपनी में नौकरी तक मिल गई।

GO-GO BIKE BY Kamdev


सरायकेला, झारखंड के बासुरदा गांव के रहनेवाले कामदेव पान, एक किसान के बेटे हैं और पांच भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। गांव के ही एक सरकारी स्कूल में पढ़े कामदेव के पास किसी बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज की डिग्री नहीं है, बावजूद इसके आज वह मुंबई के एक प्रतिष्ठित मोटर कंपनी में काम करते हैं और यहां इंजीनियर्स के साथ मिलकर ई-बाइक(E-bike) डिज़ाइन करते हैं।  

बेटर इंडिया से बात करते हुए कामदेव ने बताया, "आज मैं कम्पनी की BMW में घूमता हूं और ताज जैसे बड़े होटल में रुकता हूं। ऐसा जीवन मेरे लिए किसी सपने जैसा ही है। मेरे माता-पिता को भी मुझपर पर गर्व है। मैं घर में न रहूं फिर भी कई मीडिया वाले मेरे माता-पिता का इंटरव्यू लेने मेरे गांव तक आ जाते हैं।"

ऐसा सब कुछ मुमकिन हो पाया कामदेव की कड़ी मेहनत और तेज़ दिमाग की बदौलत। दरअसल, उन्हें बचपन से ही मशीनों से प्यार रहा है। पढ़ाई में भी वह हमेशा अव्वल रहे हैं। गांव में किसानी हो या रोजमर्रा से जुड़ी चीजें, वह जुगाड़ से कोई न कोई आविष्कार करते रहते थे।  लेकिन उनका सबसे सफल अविष्कार है उनकी बनाई GO-GO BIKE. 

यह एक इलेक्ट्रिक-साइकिल है, जिसमें एक मोटर लगी है और इसे पैडल के जरिए भी चार्ज किया जा सकता है। चार्ज होने के बाद, यह एक सामान्य साइकिल से ई-साइकिल में बदल जाती है। 

साल 2009 में आई जापान की यो-यो बाइक से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने स्कूल से मिली साइकिल में मोटर लगाकर ई-बाइक बनाने का फैसला किया। तब उनके पास न इंटरनेट की सुविधा थी, न कोई ज्यादा साधन। इसके बावजूद, उन्होंने किताबें पढ़कर, खुद का दिमाग लगाया और साल 2012 में एक सामान्य ई साइकिल का मॉडल तैयार कर दिया।  

Kamdev pan made an e-bike
Kamdev Pan

 मुश्किलों से तैयार हुई ई-साइकिल को मिला लोगों का भी प्यार 

कामदेव कहते हैं, "गांव में ज्यादा सामान नहीं मिलता था। मैं अपने पिता के साथ सब्जियां बेचने गांव से शहर आता और अपनी बाइक के लिए सामान लेकर जाता। मेरे पिता गुस्सा भी करते कि क्यों पैसे बर्बाद कर रहे हो। लेकिन मुझे विश्वास था कि एक बार मॉडल तैयार हो जाएगा, तो लोगों को इससे बहुत फायदा होगा।"

हालांकि कामदेव गांव में इस बाइक का इस्तेमाल कर रहे थे। लेकिन गांववालों ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। शुरुआती दिनों में इसका लुक भी ज्यादा अच्छा नहीं था। इसलिए वह हमेशा इसके लुक के साथ प्रयोग करते रहते थे। लेकिन साल 2017 में गांव से ग्रेजुएशन करके, जब वह नौकरी के सिलसिले में जमशेदपुर में रहने आए, तब उनके बाइक को कई लोगों ने पसंद किया। 

उन्होंने बताया, "मैं सरकारी दफ्तर में डाटा एंट्री का काम करता था।  एक बार किसी काम से शहर के उपायुक्त के ऑफिस में अपनी बनाई बाइक लेकर गया था। तब वहां अधिकरियों ने मेरी बाइक के बारे में पूछा। जब उन्हें पता चला कि इसे मैंने खुद बनाया है, तब सभी चौंक गए।"

इसके बाद, कामदेव की मेहनत को पहचान मिली और कई जगहों से उन्हें सहायता के लिए फोन भी आए। राज्य के मुख्यमंत्री ने भी उनके बाइक की तारीफ की। कामदेव को अपने इस शौक़ को और आगे बढ़ाने का मौका तब मिला, जब कई लोगों ने उन्हें गो-गो बाइक के ऑर्डर्स दिए, जिसे उन्होंने प्री-ऑर्डर से बनाना शुरू किया। अब तक वह 50 से ज्यादा गो-गो बाइक बनाकर बेच चुके हैं। 

इसकी कीमत करीब 30 हजार रुपये से शुरू होती है और अलग-अलग मॉडल के हिसाब से अलग कीमत में बिकती है।  

रांची के रहनेवाले रोहित गाडी, कामदेव के शुरुआती ग्राहकों में से एक हैं, जिन्होंने दो साल पहले 37 हजार में एक गो-गो बाइक खरीदी थी। रोहित कहते हैं, "यह बिना ज्यादा देखभाल के एक बेहतरीन वाहन है, मैं इससे काफी संतुष्ट भी हूं।  अपने घर से काम पर आने के लिए मैं इसका इस्तेमाल करता हूं। इसमें पैडल लगे हैं, इसलिए इससे मेरी हर दिन एक्सरसाइज भी हो जाती है और सबसे अच्छी बात कि यह झारखण्ड में ही बनी है।"

Go-go E -bike By Kamdev pan from jharkhand
Go-Go Bike

वायरल वीडियो से मिली बड़े शहर में नौकरी 

कामदेव, इंटरनेट की ताकत को आज की सबसे बड़ी ताकत मानते हैं, क्योंकि सोशल मीडिया पर उनकी ई-बाइक के वीडियो देखकर ही उन्हें मुंबई की एक बड़ी ऑटो कंपनी ने इंटरव्यू के लिए बुलाया।  कामदेव कहते हैं, "यह कंपनी सामान्य वाहनों के साथ ई-वाहन बनाना चाहती थी, जिसके लिए उन्हें कई तरह के लोगों की जरूरत थी और इसलिए कई बड़े-बड़े इंजीनियर्स और डिज़ाइनर्स के साथ मुझे भी काम करने का मौका मिला।"

हालांकि, कामदेव हमेशा से अपना खुद का काम करना चाहते थे, लेकिन इसके लिए उन्हें ज्यादा पूंजी की जरूरत थी।  जो उनके पास नहीं थी और अपने घर के हालत को देखते हुए, उन्होंने नौकरी से जुड़ने का फैसला किया। वह पिछले एक साल से मुंबई में काम कर रहे हैं।  

कामदेव कहते हैं, "मैं इस बाइक को लुक में ऐसा बनाना चाहता था कि बड़ी गाड़ियों में घूमने वाला इंसान भी इसे एक बार रुककर जरूर देखे। आज मुंबई में भी मेरी बाइक लोग बहुत पसंद करते हैं, जिससे मुझे बड़ी ख़ुशी होती है। 

कामदेव अपनी गो-गो बाइक को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। आप भी उनकी गो-गो बाइक का ऑर्डर देने के लिए उन्हें 9470558639 पर सम्पर्क कर सकते हैं।  

संपादन-अर्चना दुबे

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