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दादा के लिए पोती ने किया आविष्कार, जीता नेशनल लेवल का पुरस्कार

कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है! लेकिन यह कहावत सिर्फ उनके लिए है जिनके अंदर बदलाव के लिए कदम उठाने और कुछ बदलने का जज़्बा होता है। 12 साल की शालिनी के उसी जज़्बे की वजह से आज कई दिव्यांगों और बुजुर्गों की मदद हो पा रही हैं।

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दादा के लिए पोती ने किया आविष्कार, जीता नेशनल लेवल का पुरस्कार

पटना की शालिनी जब 12 साल की थी, तब उनके दादा जी वॉकर इस्तेमाल करते थे। सीधे रास्ते पर तो ठीक है लेकिन उन्हें सीढ़ियों में चढ़ने में बहुत दिक्क्त होती थी। इस दिक्क्त को देखकर तब शालिनी सोचती थी कि इस परेशानी को कैसे कम किया जाए।
वह कुछ ऐसा बनाना चाहती थी कि वॉकर का इस्तेमाल सीढ़ियों पर आसान बन जाए। इसी सोच के साथ 12 साल की उम्र में पटना की शालिनी कुमारी ने दादा की परेशानी को दूर करने के लिए किया आविष्कार, जिसने आगे चलकर जीता National Level का पुरस्कार। सीढ़ियों पर आसानी इस्तेमाल होने वाला उनका Adjustable Walker आज कई दिव्यांगों के और बुजुर्गों के काम आ रहा है। अगर उनके बनाए वॉकर के बारे में बात करें तो इसके आगे के पैरों में Hydraulic Mechanism है। जिसकी मदद से हम इसको एडजस्ट कर सकते हैं साथ ही वॉकर में Clutches लगे हुए हैं और इसमें एक और बहुत खास बात है इसमें एक lever mechanism है, जिसके जरिए हम इसके Adjustment को Lock कर सकते हैं।
शालिनी ने इस आईडिया को प्रोडक्ट में बदलने में National Innovation Foundation की मदद ली और आज NIF की मदद से उनका प्रोडक्ट पेटेंट के साथ Vissco जैसी कम्पनी का हिस्सा बन चुका है। ऑनलाइन कई लोग इसे खरीदकर इस्तेमाल कर रहे हैं। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और शालिनी की कहानी इस बात का सटीक उदाहरण।


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