'द बेटर इंडिया' की कहानी का असर, रोड से शुरू हुए बैम्बू बिज़नेस को देशभर से मिले ऑर्डर्स

पूर्णिया, बिहार के माँ-बेटे की जोड़ी, आशा अनुरागिनी और सत्यम् सुंदरम् ने पर्यावरण के प्रति अपने लगाव के कारण बैम्बू के बिज़नेस की शुरुआत की थी, लेकिन पैसों की तंगी की वजह से वे ज़्यादा मार्केटिंग नहीं कर पाए थे। पर आज उनके प्रोडक्ट्स देशभर में बिक रहे हैं, जिसका श्रेय वे @TheBetterIndia-Hindi में छपी कहानी को देते हैं।

bamboo business Impact story

प्लास्टिक के बेहतरीन विकल्प हैं, बांस से बने प्रोडक्ट्स। बैम्बू के 50 से अधिक तरह के प्रोडक्ट्स के साथ 'मणिपुरी बैम्बू आर्किटेक्चर' नाम से एक बैम्बू बिज़नेस चलाती है पूर्णियां (बिहार) की माँ-बेटे की जोड़ी। 26 साल के सत्यम् सुंदरम् बचपन से ही आस-पास के पशु-पक्षियों और पर्यावरण आदि के प्रति काफी ज़िम्मेदार रहे हैं। सत्यम् सुंदरम्, अपने प्रकृति प्रेमी होने का सारा श्रेय अपनी माँ को देते हुए कहते हैं।

यह प्रकृति प्रेम ही तो था, जिसके कारण सत्यम् सुंदरम् ने MBA की पढ़ाई और नौकरी छोड़कर अपनी माँ आशा अनुरागिनी के साथ मिलकर एक बिज़नेस की शुरुआत की थी। 

दरअसल, जब सत्यम् प्लास्टिक के वैकल्पिक प्रोडक्ट्स के बारे में रिसर्च कर रहे थे। उसी दौरान, उन्हें पता चला कि बैम्बू से कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं। इसी सोच के साथ उन्होंने कुछ 10 बैम्बू खरीदे और अपनी माँ की मदद से बैम्बू बिज़नेस शुरू किया। उनकी माँ संगीत और क्राफ्ट की ही टीचर हैं, इसलिए उन्होंने इससे एक बढ़िया बोतल बनाई। प्रोडक्ट तो तैयार था, लेकिन इसे बेचें कहाँ इसका कोई आईडिया उन्हें नहीं था।  

सिर्फ एक तरह के प्रोडक्ट से की थी बैम्बू बिज़नेस की शुरुआत

bamboo business by Satyam and his mother
सत्यम् और उनकी माँ मिलकर बैम्बू प्रोडक्ट्स का बिज़नेस करते हैं

पिछले साल जुलाई महीने में उन्होंने अपने रोड साइड स्टॉल की शुरुआत, बैम्बू के एक ही प्रोडक्ट से की थी, जो थी बैम्बू बोतल। मात्र कुछ ही महीनों में लोकल मीडिया के माध्यम से उनके हैंडमेड प्रोडक्ट्स की जानकारी शहर के डीएम तक भी पहुंची, जिसके बाद उन्हें कई तरह की मदद मिलने लगी। उन्होंने धीरे-धीरे नए-नए प्रोडक्ट्स बनाने भी शुरू किए। समय के साथ, उन्हें कुछ ऑर्डर्स भी मिले। हालांकि, जिस तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद उन्हें थी, वह नहीं मिल पा रहा था।  

लेकिन आज उन्हें दिल्ली सहित महाराष्ट्र और गुजरात के कई राज्यों से नियमित ऑर्डर्स मिल रहे हैं। उनके छोटे से बैम्बू बिज़नेस को देश भर में कई लोग पहचानने लगे हैं, जिसका श्रेय वह द बेटर इंडिया-हिंदी में प्रकाशित अपनी कहानी को देते हैं। 

सत्यम कहते हैं, “मैंने नौकरी छोड़कर इस छोटे से बिज़नेस की शुरुआत की थी। मुझे प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन योजना के तहत 10 लाख रुपयों का लोन भी मिला था, लेकिन हमारे प्रोडक्ट्स की मांग लोकल बाज़ारों में ही सिमित थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे अपने प्रोडक्ट्स को देशभर में लोगों तक भेजूं? ऐसे में जून महीने में द बेटर इंडिया-हिन्दी में मेरे बिज़नेस के बारे में एक लेख प्रकाशित हुआ और इस लेख का मुझे काफी फायदा मिला।"

बैम्बू बिज़नेस: देशभर से लोगों ने मंगवाए सत्यम् के प्रोडक्ट्स 

माँ बेटे की इस कोशिश पर लिखा गया हमारा लेख, लोगों ने खूब पसंद किया। कई लोगों ने सत्यम् को कॉल करके बधाई दी, तो कई लोगों ने बैम्बू के प्रोडक्ट्स के ऑर्डर दिए। आज ये दोनों बैम्बू और जूट से 50 तरह के प्रोडक्ट्स बनाते हैं। ये सारे प्रोडक्ट्स आम आदमी की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। 

एक समय पर सत्यम् को लग रहा था कि उन्हें अपना बैम्बू बिज़नेस बंद करना पड़ेगा, वहीं आज उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा है। सबसे अच्छी बात यह हुई कि रोड की एक स्टॉल से शुरू हुआ उनका काम अब देशभर में उनकी पहचान बना चुका है।

हमें बड़ी ख़ुशी है कि हमारे लेख के ज़रिए हम सत्यम् जैसे उद्यमियों की मदद कर पा रहे हैं।  

उनकी इस सफलता पर द बेटर इंडिया की ढेरों शुभकामनाएं। अगर आप उनके प्रोडक्ट्स के बारे में जानना चाहते हैं, तो उन्हें सोशल मीडिया पर सम्पर्क कर सकते है।  

संपादनः अर्चना दुबे

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