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जीरो इनवेस्टमेंट से शुरू किया बेकार फूलों से सजावटी सामान बनाना, हर महीने कमा रहीं 60 हजार

दिल्ली में रहने वाली पूनम सहरावत बेकार फूलों से कई तरह के सामान बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं।

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Flower Waste Products

दिल्ली में पली-बढ़ी पूनम सहरावत दो बच्चों की माँ हैं। करीब तीन साल पहले उनके दोनों बच्चे बोर्डिंग स्कूल चले गए, जिसके बाद वह काफी अकेली हो गईं। पूनम को न टीवी देखने का शौक था और न ही उनके कोई खास दोस्त थे। 

इस वजह से धीरे-धीरे पूनम डिप्रेशन की चपेट में आने लगीं। यह देख उनकी माँ ने उन्हें मंदिर जाने की सलाह दी और फिर हर सुबह उन्होंने मंदिर जाना शुरू कर दिया। तभी उनका ध्यान मंदिर में यूं ही बर्बाद होते फूलों पर गया। 

फिर, उन्होंने सोचा क्यों न इससे कुछ बनाया जाए। जिससे न सिर्फ उन्हें खुद को चिन्ताओं से दूर रखने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे उनके जैसी कई दूसरी महिलाओं को भी एक जरिया मिल सकता है।

इसके बाद पूनम ने कुछ अलग करने की चाहत में मंदिर में चढ़ाए फूलों से दीया, मूर्ति जैसे कई सामानों को बनाना शुरू कर दिया। इस बिजनेस को उन्होंने जीरो इनवेस्टमेंट से शुरू किया था और आज हर महीने कम से कम न सिर्फ 60 हजार की कमाई कर रहीं हैं, बल्कि पांच-छह लोगों को रोजगार भी दिया है।

38 वर्षीया पूनम ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं एक रूढ़ीवादी परिवार में पली-बढ़ी हूं। मैं साल 2000 में 12वीं पास करने के बाद डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन तभी मेरी शादी कर दी गई। कुछ समय के बाद मैं माँ बन गई और मैंने अपना पूरा ध्यान बच्चों के परवरिश में लगा दिया।”

हालांकि, शादी के बाद भी पूनम ने किसी तरह अपनी पढ़ाई जारी रखी। पहले उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग से बीए किया। फिर आठ साल पहले उन्होंने रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से बीएड किया।

Aaruhi Enterprises Founder Poonam Sehrawat
पूनम सहरावत

जून 2019 में अपनी दोस्त पिंकी यादव के साथ मिलकर उन्होंने ‘आरुही एंटरप्राइजेज’ की शुरुआत की। इसके तहत वह न सिर्फ बेकार फूलों से रीसायकल्ड प्रोडक्ट बनाती हैं, बल्कि अभी तक 500 से अधिक महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं।

राह नहीं थी आसान

पूनम ने बेकार फूलों से उत्पाद बनाने से पहले काफी रिसर्च किया। इसी कड़ी में उन्हें जानकारी मिली कि कुछ लोग उससे अगरबत्ती बना रहे हैं। पूनम ने उनसे जानकारी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने उनकी ज्यादा मदद नहीं की।

फिर, उन्हें पता चला कि कुछ लोग गाय के गोबर से सामान बना रहे हैं। इसी से प्रेरित होकर पूनम ने गोबर की जगह बेकार फूलों को अपनाने का फैसला किया।

लेकिन, पूनम के पास काम शुरू करने के लिए कोई जगह नहीं थी। इसे लेकर उन्होंने अपने एक अंकल से बात की और उन्हें गुड़गांव में एक जगह मिली।

वह कहती हैं, “एक बार तय करने के बाद, मैंने जल्द ही काम शुरू कर दिया। मैं हर सुबह उठती थी और मंदिरों से फूलों को जमा करने निकल जाती थी। लेकिन पुजारियों को इसके लिए तैयार करना आसान नहीं था, क्योंकि उन्हें लगता था कि मैं एक महिला हूं और इतना काम नहीं कर पाउंगी। इसी वजह से वह कोई बोझ नहीं लेना चाहते थे।”

Eco friendly items made from waste flowers
बेकार फूलों से बने सामान

किसी तरह पूनम ने फूलों को जमा किया और उसे सूखाने लगीं। लेकिन उनका असली  इम्तिहान अभी बाकी था।

पूनम ने एक महीने के भीतर ही ढेर सारा फूल जमा कर लिया। पहले वह इन फूलों को सूखा कर, पाउडर बनाना चाहती थीं। लेकिन तभी बारिश हो गई और सारा फूल यूं ही बर्बाद हो गया। इस घटना से वह निराश हो गईं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर से फूल इकट्ठा करना शुरू कर दिया।

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इस बार उन्होंने फूलों को बचाने के लिए छत पर शेड्स लगवाए और जब उन्होंने पहली बार सफलता हासिल की, तो मंदिरों के पुजारियों को भी यकीन हो गया। धीरे-धीरे उनके साथ 25 से अधिक मंदिर जुड़ गए।

सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कुछ ही महीनों के बाद कोरोना महामारी शुरू हो गई। 

वह कहती हैं, “हम पिछले दो साल से कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। पहले हमारे साथ जहां 25 से अधिक मंदिर जुड़े हुए थे। वहीं अब सिर्फ आठ मंदिर जुड़े हुए हैं। कोरोना काल में ज्यादा लोग मंदिर नहीं जाते हैं। फिर भी हर दिन करीब सौ किलो फूल जमा हो जाता है।”

कैसे बनाती हैं उत्पाद

पूनम बताती हैं कि भारत मंदिरों का देश है और यहां हर गली में एक मंदिर है। इन मंदिरों में काफी फूल चढ़ते हैं, जो यूं ही बर्बाद हो जाते हैं। इन फूलों को नदी-नालों में फेंक दिया जाता है, जिससे काफी गंदगी फैलती है।

लेकिन पूनम ने वेस्ट से वेल्थ का आइडिया ढूंढ़ निकाला। वह मंदिरों से फूल उठातीं हैं और उसमें से गंदगी हटाकर अच्छी तरह से सूखा देतीं हैं। 

woman collecting waste flowers

फूलों को सूखाने के बाद, उसका मशीन से पाउडर बनाया जाता है। फिर कुछ इंग्रेडिएंट्स मिलाकर उसे मोल्ड किया जाता है। फिर निश्चित आकार देकर उसे धूप में फिर से सुखाया जाता है।

पूनम फिलहाल, दीया, मूर्ति जैसे आठ तरह के सामान बनाती हैं। अपने उत्पादों को बेचने के लिए वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती हैं और उनके उत्पाद अमेजन पर भी उपलब्ध है। 

इतना ही नहीं, वह अपने उत्पादों की पैकेजिंग के लिए मंदिर की चुनरियों का पाउच बनाती हैं। जिसे किसी दूसरे काम में आसानी से इस्तेमाल में लाया जा सकता है। वह कहती हैं उनके बिजनेस में प्लास्टिक के लिए कोई जगह नहीं है। उनके उत्पादों के टूट जाने के बाद, उसे पौधों के लिए खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

पूनम के उत्पादों की रेंज 50 रुपए से लेकर 120 रुपए के बीच है। अपने बिजनेस से हर महीने उन्हें औसतन 60 हजार की कमाई होती है। उनका मानना है कि जैसे-जैसे देश में कोरोना की स्थिति सामान्य होगी, यह दायरा बढ़ता जाएगा।

500 से अधिक महिलाओं को दे चुकी हैं ट्रेनिंग

पूनम का इरादा पैसे कमाने के बजाय लोगों के सोच में बदलाव लाने का है। 

वह कहती हैं, “मैं हर जगह नहीं हो सकती हूं, लेकिन मेरी सोच हर जगह हो सकती है। मैं फिलहाल जम्मू एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, थल सेना और राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ जुड़ी हुई हूं। मैंने अभी तक 500 से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग दिया है। मेरी कोशिश हर वैसी महिला तक पहुंचने की है, जो अपनी जिंदगी में कुछ अलग करना चाहती हैं, लेकिन उनके पास कोई जरिया नहीं है।”

Poonam giving training to women to make goods from flowers

उनकी इस पहल को लेकर जम्मू एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी जेपी शर्मा कहते हैं, “पूनम सहरावत ने एक नए उद्यमी के तौर पर बेकार फूलों के वैल्यू एडिशन के लिए जिस बिजनेस को शुरू किया है, उससे महिलाओं के जीवन में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। वह महिलाओं की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए काफी कोशिश कर भी रही हैं। आने वाले समय में हमें काफी अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे।”

वही, पूनम अंत में कहती हैं कि यदि वह अकेले हर महीने हजारों किलो फूलों को कूड़ेदान में जाने से रोकने में सक्षम हैं, तो अगर इस मुहिम से देश की हजारों महिलाएं जुड़ जाएं, तो हर दिन लाखों टन फूलों को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। जिससे उन्हें आमदनी भी होगी और पर्यावरण को भी काफी फायदा होगा।

आप आरुही एंटरप्राइजेज से 07982102228 पर संपर्क कर सकते हैं।

संपादन- जी एन झा

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