Powered by

Home हिंदी पुणे का यह गणेश मंडल बना इंसानियत की मिसाल; गणेशोत्सव मनाने के पैसों से किया अनाथ युवक का इलाज!

पुणे का यह गणेश मंडल बना इंसानियत की मिसाल; गणेशोत्सव मनाने के पैसों से किया अनाथ युवक का इलाज!

New Update
पुणे का यह गणेश मंडल बना इंसानियत की मिसाल; गणेशोत्सव मनाने के पैसों से किया अनाथ युवक का इलाज!

प्रतीकात्मक तस्वीर

वैसे तो पुरे देश भर में गणेशोत्सव की धूम होती है पर महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे जैसे महानगरों में बाप्पा के आने की ख़ुशी में मनाये जानेवाले इस उत्सव का अलग ही जादू चढ़ता है। यहां के गणपति पंडालों के आकार, सजावट और धूम-धाम की खबरें चारों तरफ छायी रहती हैं।

इस बार भी पुणे के नवी पेठ का 56 साल पुराना नवशक्ति मित्र मंडल गणपति के उत्सव के लिए चर्चा में हैं। लेकिन इस बार चर्चा उनके गणपति के लिए भव्य तैयारियों की नहीं बल्कि इंसानियत की उस मिसाल की है जो इन्होने हाल ही में पेश की है।

पुणे मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मंडल ने गणेश-चतुर्थी के महोत्सव के लिए जुटाया हुआ पैसा एक 22 साल के अनाथ लड़के के इलाज के लिए दान कर दिया है। जी हाँ, इस बार मंडल ने तय किया है कि पिछले साल की तुलना में वे केवल 20% ही उत्सव पर खर्च करेंगें और बाकी अस्पताल में इस ज़रूरतमंद लड़के के इलाज़ के लिए देंगें।

22 साल का यह युवक, सतीश जोरी एक स्थानीय निवासी है। शनिवार को लोगों ने उसे घर की फर्श पर पड़ा हुआ पाया और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें सतीश की सर्जरी करनी पड़ेगी। मंडल के अध्यक्ष ने बताया कि सतीश की माँ का देहांत उसके बचपन में ही हो गया था और 5 साल पहले उसके पिता भी चल बसे। ऐसे में केवल उसके एक चाचा थे, जिनकी भी कुछ समय पहले मृत्यु हो गयी और सतीश इस दुनिया में बिलकुल अकेले रह गए!

ऐसे में इस मंडल ने आगे बढ़कर सतीश की जिम्मेदारी उठायी। उनका कहना है कि उन्होंने सतीश को अपने सामने बड़ा होते देखा है।

इस मंडल के एक सदस्य पाइगुड़े ने बताया, "कोई भी उसकी देखभाल करने या उसके मेडिकल बिल आदि भरने वाला नहीं है। इसलिए उसके गार्जियन के तौर पर हम आगे आये और अस्पताल का खर्चा उठाया। उसके डिस्चार्ज होने तक हम बारी-बारी से अस्पताल में रुक रहें हैं।"

"सरलता इस साल हमारी पहचान होगी। बड़ा उत्सव अगले साल तक इंतजार कर सकता है। हम हमारी सांस्कृतिक गतिविधियां करते रहेंगें। हम केवल त्यौहार और ख़ुशी की भावना को बनाये रखना चाहते हैं- हमें विश्वास है बप्पा इसमें हमारे सहायक बनेंगे," एक और मंडल कार्यकर्ता संतोष थोंबरे ने कहा।

यक़ीनन, इस मंडल का यह कदम सही मायनों में इंसानियत के उत्सव का प्रतीक है।

( संपादन - मानबी कटोच )


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें [email protected] पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।