इस विवाह में फेरों के साथ करवाया गया 151 गरीबों का मोतियाबिंद ऑपरेशन भी!

स्नेहा और अनुभव की शादी हरिद्वार में बहुत ही सादे तरीके से बिना किसी दहेज़ व 'बैंड, बाजा और बरात' के शांति-कुञ्ज में हुई। साथ ही स्नेहा के पिता ने 151 गरीब लोगों की मोतियाबिंद सर्जरी का खर्चा उठाया।

स्नेहा मारवाड़ी परिवार से  हैं और अनुभव ने एक कायस्थ परिवार में जन्म लिया था! स्नेहा के पिता एक डॉक्टर हैं और अनुभव के पिता रिटायर्ड आर्मी अफ़सर। जहां एक तरफ स्नेहा का परिवार सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल में रहता है तो अनुभव के परिवार वाले मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में रहते हैं। यह तो सिर्फ प्यार था, जिसने उन दोनों को मिलाया और बाद में, उनके परिवार की थोड़ी-बहुत नाराज़गी के बाद, आखिरकार 10 दिसंबर, 2017 को उन दोनों की शादी हंसी-ख़ुशी हो गयी।

हम भारतीयों के लिए शादी बहुत महत्वपूर्ण है। हर माँ-बाप अपने बच्चों के लिए एक शानदार शादी का सपना संजोते हैं। और बेशक, हमारे यहां शादियां बहुत ही खूबसूरत और सांस्कृतिक ढंग से होती हैं। स्नेहा भी अपने लिए ऐसी ही शादी चाहती थीं लेकिन पैसे, समय और प्रयास की अनावश्यक बर्बादी उन्हें हमेशा से नगवांर थी। इसलिए दोनों परिवारों ने पारंपरिक ‘बैंड, बाजा, बारात’ की जगह हरिद्वार में गंगा माँ की गोद में एक ‘आदर्श विवाह’ करने का फ़ैसला किया।

हरिद्वार ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार के हब, शांति कुञ्ज में स्नेहा और अनुभव ने अपनी शादी के सात फेरे लिए।

उनकी शादी करीबी परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ एक निजी समारोह में सम्पन्न हुई। दुल्हन और दूल्हे की तरफ से 80 से भी कम अतिथि थे और तीन घंटे से भी कम समय में उनकी शादी हो गयी।

फोटो: युथ की आवाज

शांति कुञ्ज में शादी करने की वजह थी वहां के कुछ नियम,

  • दुल्हन और दुल्हन एक आवेदन जमा करते हैं कि वे अपने परिवारों की सहमति से शादी कर रहे हैं, भागकर नहीं।
  • दुल्हन और दुल्हन के माता-पिता सहमति का पत्र जमा करते हैं कि वे शांति कुंज में अपने बच्चों के शादी करने के लिए सहमत हैं।

माता-पिता शांति कुंज में व्यक्तिगत रूप से इन आवेदनों को जमा करते हैं। ऐसा करके, वे शांति कुंज के सिद्धांतों का पालन करने के लिए सहमत हैं जो कहते हैं कि विवाह में दहेज का कोई आदान-प्रदान नहीं होगा, और यह कि शादी किसी भी “बैंड, बाजा और बारात” के बिना होगी।

स्नेहा और अनुभव की शादी बहुत ही ख़ुशी के साथ सम्पन्न हुई। शांति कुञ्ज में शादी करने के अलावा भी एक और बात है जो इस शादी को बहुत खास बनाती है।

अपनी बेटी की शादी के अवसर पर, स्नेहा के पिता ने सिलीगुड़ी में ग्रेटर लायंस आई अस्पताल में 151 वंचित पुरुषों और महिलाओं की मोतियाबिंद सर्जरी अपने खर्चे पर करवाई।

इस बात ने सबके मन को छु लिया। बिना वजह की धूम और जबरदस्ती के खर्च की बजाय उन्होंने समाज के लिए कुछ अच्छा करने का फ़ैसला किया। स्नेहा के पिता की इस एक कोशिश ने इस शादी को सबसे अलग और ख़ास बना दिया।

स्नेहा और अनुभव के परिवारों ने जिस तरह से उनकी शादी की, वह यक़ीनन काबिल-ए-तारीफ़ है। हम उनकी सोच की सराहना करते हुए उम्मीद करते हैं कि बहुत से जोड़े इससे प्रेरित हो, इस तरह की शादियों का अनुकरण करेंगे।

मुख्य स्त्रोत: युथ की आवाज

( संपादन – मानबी कटोच )


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X