एक शख्स अपनी जीवनसाथी को इतनी शिद्दत से खोजता है कि पर्याप्त संसाधन न होते हुए भी मंजिल मिल ही जाती है।
तपेश्वर सिंह मेरठ के रहने वाले एक आम इंसान हैं। चार साल पहले उत्तर प्रदेश के ब्रिजघाट की एक धर्मशाला में वे बबिता से मिले। बबिता को उनके घरवालों ने 4 साल पहले यहां छोड़ दिया था क्योंकि परिवार के मुताबिक़ बबिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।
तपेश्वर उनसे मिलते रहे और दोनों ने एक दिन शादी कर ली। तपेश्वर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी फिर भी उन्होंने गृहस्थी चलाने के लिए तमाम काम किए और घर चलने लगा। पर इसी साल मार्च के महीने में एक दिन बबिता गायब हो गईं।
40 वर्षीय तपेश्वर ने उनकी खोज शुरू की। उनके पास महज एक साईकिल थी, जिससे वे खोजते रहे, एक जगह से दूसरी जगह, जहाँ भी कोई नामो-निशान मिलता तपेश्वर वहीं पहुँच जाते।
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महीने बीतते गए पर तपेश्वर ने अपनी साईकिल के पहियों को रुकने नहीं दिया। कमाई हो नहीं रही थी तो खाने की समस्या भी बनी रहती थी। कई दिन-रात उन्होंने भूखे गुजारे, लेकिन उम्मीद से मन भरा था कि उन्हें एक दिन जरूर बबिता मिलेगी।
महीनों के बाद एक दिन किसी ने सूचना दी कि एक आदमी बबिता को रेड लाइट एरिया में ले गया था बेचने के लिए। मगर उसकी मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण अपनी साजिश में नाकाम रहा। तपेश्वर ने एफ आई आर दर्ज करवा दी; साथ ही ऐसे कई इलाके ढूंढे, वहां काम करने वाले लोगों से भी पूछताछ की मगर फिर भी कोई खबर नहीं लगी।
आखिर इस महीने की 13 तारीख को उन्हें एक फ़ोन आया। फोन करने वाले शख्स ने बताया कि उसने बबिता को हरिद्वार में भीख मांगते देखा है। तपेश्वर फ़ौरन मेरठ से हरिद्वार पहुंचे और बहुत खोजने के बाद बबिता उन्हें दिखाई दीं। बबिता की हालत ठीक नहीं थी। मैले-कुचैले कपड़ों में वो सड़क पर अचेतन अवस्था में घूम रही थीं। तपेश्वर के सामने मंजिल खड़ी थी, महीनों की मेहनत रंग बिखेर रही थी।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया को तपेश्वर ने बताया कि, “मैं जानता था कि बबिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए उसके साथ कुछ भी गलत होने की सम्भावना है। इसी चिंता ने मुझे उसकी खोज में लगाए रखा।”
बबिता के प्रति तपेश्वर के इस त्याग और प्रेम ने ये साबित कर दिया कि भले ही कई इम्तिहान देने पड़े पर सच्चे प्यार की हमेशा जीत होती है।
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