(L): TOI, (R): indiatimes.com
केरल के मल्लपुरम में एक विष्णु मंदिर में इस बार रमज़ान के मौके पर स्थानीय मुसलमानों के लिए इफ़्तार की दावत का आयोजन किया जाएगा।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर की कमेटी ने यह निश्चित किया है। इस कदम के पीछे का उद्देशय लोगों में शांति और प्रेम का सन्देश देना है।
पर यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। देश में धार्मिक सोहार्द और भाईचारे की ऐसी कई घटनायें आये दिन सामने आती रहती हैं!
हमारे देश के सिख समुदाय ने कितनी ही बार ज़रूरतमंद लोगों की मदद की है, हिंदुओं ने रमज़ान पर मुसलमानों की सहायता की है और मुसलामानों ने अपनी जान पर खेलकर पीड़ितों को बचाया है!
हाल ही में देहरादून में आरिफ़ खान नामक मुसलमान व्यक्ति ने एक अनजान हिन्दू लड़के की जान बचाने के लिए अपना रोज़ा तोड़ रक्तदान किया। ऐसे ही उदहारण हमारे देश की 'अनेकता में एकता' की मिसाल को साबित करते हैं। आज ऐसे ही कुछ घटनाओं के बारे में हम आपको बता रहें हैं, जो भारतीयों के आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक हैं।
1. 85 साल की वह हिन्दू औरत जो रमज़ान में रोज़े रखती है!
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पूरीबेन लेउवा, 85 साल की हैं और पिछले 35 सालों से वे रमज़ान में रोज़े रख रहीं हैं। वे और उनकी मुस्लिम सहेलियां सिर्फ प्रेम नामक विश्वास का अनुकरण करते हैं। केवल यही नहीं मैंने अपने हॉस्टल में एक मुस्लिम दीदी को भी नवरात्री के व्रत करते हुए देखा है।
2. वो बहादुर सिख जिन्होंने कश्मीर में मस्जिद को बचाने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी!
जब कश्मीर में भीषण बाढ़ आयी तो सभी समुदायों से लोग पीड़ित परिवारों की मदद के लिए सामने आये। इस मुश्किल की घड़ी में सिखों ने मस्जिद और बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की।
3. जब मुसलमान युवकों ने हिन्दू संतो की जान बचायी!
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देश में हिन्दू-मुस्लिम झगड़े की खबरें तुरंत ख़बरों में आ जाती है पर ऐसी भी घटनाएं हैं जब यही दोनों समुदाय बिना कोई भेदभाव किये एक दूसरे की मदद करते हैं। पिछले दिनों मुज्ज़फर नगर में उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतर गयी थी और उस हादसे में लगभग 23 लोगों की मौत हुई और बहुत से लोग घायल हुए।
पर यही हादसा सांप्रदायिक सौहार्द का भी उदहारण बन गया जब लोगों ने एक-दूसरे की मदद की। ट्रेन में यात्रा कर रहे कई संतों को स्थानीय मुसलमान युवकों ने बचाया।
4. जब हिन्दुओं ने मुसलमानों के साथ मिलकर देश में हो रही मुसलमानो की भीड़ द्वारा हत्यायों के खिलाफ किया प्रदर्शन!
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पिछले साल जब देश में गौमांस की शंका के आधार पर पुरे देश में भीड़ द्वारा कई मुसलमान युवकों की हत्या की गयी तो न केवल मुसाल्मान बल्कि हिन्दू समुदाय भी इस तरह की हिंसा के ख़िलाफ़ आगे आये।
चाहे दादरी का अख़लाक़ हो या फिर 16 साल का जुनै, यह प्रदर्शन हर उस हत्या के ख़िलाफ़ था जो इंसानियत पर एक कलंक था। पिछले साल ईद से पहले जुनैद की मौत के ख़िलाफ़ अपना रोष जाहिर करते हुए गांव के सरपंच ने गांव में ईद न मनाने का फ़ैसला लिया था और पुरे गांव ने उनका साथ दिया।
5. अमरनाथ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को इस मुसलमान बस ड्राइवर ने अपनी जान जोख़िम में डाल कर बचाया!
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उस बस में लगभग 56 तीर्थयात्री थे जब आंतकवादियों ने अमरनाथ के रास्ते में अनंतनाग में उस पर हमला किया। पर बस ड्राइवर शेख सलीम की हिम्मत और बहादुरी के कारण बस यात्री बच गए। अपनी सूझ-बूझ और हौसलें से काम लेते हुए सलीम ने हमले के बावजूद बीच में कहीं भी बस को नहीं रोका, जब तक कि यात्री सुरक्षित स्थान पहुंच नहीं गए।
6. जब गुजरात में मुसलमानों ने मंदिरों को साफ़ किया!
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गुजरात में बाढ़ के दौरान लगभग 64 लोगों की मौत हो गयी। ऐसे समय में जैसे-जैसे बाढ़ का पानी कम होने लगा तो लगभग 3,500 मुसलमान युवा धानेरा, डीसा और पालनपुर जैसे आस-पास के गांवों से मदद के लिए आगे आये और पूजा-स्थलों और रहवास क्षेत्रों की साफ़-सफाई शुरू की।
6. वह मुस्लिम युवक जिसने अपना रोजा हिन्दुओं के साथ तोड़ा!
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आतिफ़ अनवर, एक मुस्लिम जो अपना रोजा हिन्दुओं के साथ तोडना चाहता था। अपनी आँखों पर पट्टी बाँध और हाथ में एक पोस्टर जिसमें उसने हिन्दुओं से उसका रोज़ा खुलवाने की अपील की थी, लेकर इंडिया गेट पर खड़ा हो गया। और उसका रोज़ा खुलवाने के लिए बहुत से हिन्दू लोग आगे आये।
7. जब पैसों के लिए कतारों में परेशान लोगों को सिखों ने खिलाया खाना!
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जब 500 और 1000 के नोट बंद हो गए तब पुरे देश में लोग बैंक और एटीएम की कतारों में खड़े थे। भूखे-प्यासे लोग घंटों कतारों में खड़े रह कर बस अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे। ऐसे में सिखों के एक दल ने इस समस्या से जूझ रहें लोगों को कम से कम भूख-प्यास से राहत देने की सोची और जगह-जगह पर खाना बांटना शुरू किया।
8. जब हिन्दू और मुसलमान औरतों ने एक-दूसरे के पतियों के लिए किडनी दी!
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दो औरतें, एक हिन्दू और एक मुस्लमान, जिन्होंने जिला मजिस्ट्रेट का दरवाज़ा खटखटाया ताकि उन्हें एक-दूसरे के पतियों को किडनी देने की अनुमति मिल जाये। दरअसल, दोनों के ही पति किडनी ख़राब होने के चलते डायलिसिस पर थे और एक ब्लड ग्रुप न होने के कारण परेशानी हो रही थी।
पर दोनों औरतों की इच्छाशक्ति और मांग ने कोर्ट और अस्पताल में सभी को हैरान कर दिया।
9. जब पेशावर में सिखों ने रमजान के दौरान खिलाया गरीब मुस्लिमों को खाना
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सिखों की दरियादिली के पूरी दुनिया में आपको अनेकों उदाहरण मिल जाएंगे। चाहे फिर ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले सिख हों जो हर जरूरतमंद की मदद करते हैं या फिर एटीएम की लाइनों में लोगों को खाना खिलाने वाले सिख।
ऐसे ही पेशावर में भी सिख समुदाय ने रमजान में गरीब मुसलामानों को इफ़्तार परोसने की पहल की है। रोज़े में सभी को उन्होंने रूहअफजा दूध पिलाया।
इन सभी लोगों की कहानियां पढ़ने के बाद कौन कह सकता है कि हमारा देश इतने धर्मों और जात-पात में बंटा हुआ है। यह सभी वाकये उदाहरण हैं हमारे देश की एकता के और न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में आपको इस तरह की धर्मनिरपेक्षता के उदाहरण मिल जाएंगे।
( संपादन - मानबी कटोच )