/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2022/07/mother-son-travel--1658234429.jpg)
घूमने का शौक किसे नहीं होता, खासकर एडवेंचर ट्रिप का? लेकिन अक्सर लोग घर की जिम्मेदारियों या समय की कमी के कारण अपने शौक़ को पूरा ही नहीं कर पाते और बस ऐसे ही इंतज़ार में समय निकल जाता है। फिर जब खाली समय मिलता है, तो लोग कहते हैं कि इस उम्र में कैसे घूम सकते हैं? लेकिन किसी भी काम को करने का कोई सही समय नहीं होता, अगर आप दिल से जवां हैं और शरीर से तंदरुस्त, तो घूमने-फिरने की कोई उम्र थोड़ी होती है।
दिल्ली की 63 वर्षीया सुभा नारायणन की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी। उन्हें घूमने का शौक़ तो बहुत था, लेकिन पति के काम के कारण और घर की जिम्मेदारियों में उन्हें कभी भी ज्यादा घूमने का मौका मिला ही नहीं। लेकिन अब वह 63 की उम्र में अपने इस शौक को न सिर्फ पूरा कर रही हैं, बल्कि अपने जीवन को दिल खोलकर जी भी रही हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वह देश की एक से बढ़कर एक बेहतरीन जगहें घूमने, किसी सीनियर सिटीजन ग्रुप के साथ नहीं, बल्कि अपने 30 साल के बेटे वेंकटेश के साथ जाती हैं।
बेटे से प्रभावित होकर माँ ने भी शुरू किया घूमना-फिरना
द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, “मेरा बेटा जब भी अपने दोस्तों के साथ कहीं घूमने जाता है, तो वहां से आने के बाद मुझे कहीं न कहीं घुमाने ले ही जाता है। मुझे उसके साथ घूमना बेहद अच्छा लगता है। यात्रा के दौरान वह मेरी छोटी-छोटी ज़रूरतों का पूरा ध्यान रखता है।"
30 वर्षीय वेंकटेश, सोशल मीडिया मैनेजर के तौर पर काम करते हैं। अपनी नौकरी लगने के बाद, उन्होंने साल 2015 से घूमना शुरू किया। वह बताते हैं, “जब भी मैं किसी ट्रिप से आता था और वहां के फोटोज़ और वीडियोज़ अपनी माँ को दिखाता, तो वह काफी खुश होती थीं। अक्सर वह मुझे मजाक में कहती थी कि अगली बार मैं भी साथ में चलूंगी।"
हालांकि शुरुआत में उनकी माँ कहीं भी जाने से मना करती थीं और वेंकेटेश को अपने दोस्तों के साथ ही घूमने को कहती थीं। लेकिन वेंकेटेश को पता था कि उनकी माँ को घूमने का कितना शौक़ है, इसलिए शुरुआत में उन्होंने जिद्द करके अपनी माँ को अपने साथ ले जाना शुरू किया।
वेंकटेश और उनकी माँ दोनों ने सबसे पहले चंडीगढ़ की यात्रा साथ में की थी। इसके बाद तो उन्होंने मिलकर अमृतसर, हिमाचल प्रदेश, शिमला, जयपुर, गोवा, लदाख, गुलमर्ग और धर्मशाला जैसी कई जगहें घूम लीं।
माँ के साथ एडवेंचर ट्रिप के लिए करते हैं विशेष तैयारी
सुभा पूरी तरह से वेजीटेरियन हैं, इसलिए वेंकटेश हर एक ट्रिप में ध्यान रखते हैं कि उनकी माँ को समय-समय पर शाकाहारी खाना मिल जाए। साल 2021 में जब उन्होंने अपनी माँ का जन्मदिन मानाने के लिए, उन्हें लदाख ले जाने का प्लान बनाया था, तब भी उन्होंने डॉक्टर से अच्छी तरह से सलाह करके एडवेंचर ट्रिप को प्लान किया था।
सुभा भी अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखती हैं, ताकि किसी एडवेंचर ट्रिप में उनकी वजह से कोई तकलीफ न हो जाए। वेंकटेश ने बताया, “मेरी माँ घर का सारा काम खुद करती हैं। इसके साथ-साथ वह हर दिन 45 मिनट वॉक भी करती हैं। इसलिए इस उम्र में भी वह बिल्कुल फिट हैं।"
वेंकटेश ही नहीं, उनके दोस्तों की भी बेस्ट ट्रेवल पार्टनर हैं सुभ्रा
साल 2015 में जब सुभा ने बेटे के साथ में घूमना शुरू किया था, तब उनके पति भी उनके साथ थे। सुभा ने बताया, “मेरे पति को घूमने का ज्यादा शौक़ नहीं था, इसलिए वह कभी हमारे साथ नहीं चलते थे। लेकिन वह मुझे घूमने से कभी रोकते भी नहीं थे।"
हालांकि चार साल पहले उन्होंने अपने पति को खो दिया, जिसके बाद वेंकटेश ने माँ को अकेला छोड़ने के बजाय, उन्हें साथ में ले जाना शुरू किया। वह कहते हैं, “कई बार ट्रिप की पूरी प्लानिंग होने के बाद, मेरे दोस्त किसी वजह से ट्रिप पर नहीं जा पाते थे। तब मैं अपनी माँ को साथ चलने के लिए बोलता था। अब तो माँ मेरी सबसे अच्छी ट्रेवल पार्टनर बन गई हैं।"
वेंकेटेश के सभी दोस्त सुभा से काफी प्रभावित रहते हैं। एक बार सुभा, गोवा की एक एडवेंचर ट्रिप पर वेंकटेश के दोस्तों के साथ गई थीं, जिसके बाद सुभा अब वेंकटेश के दोस्तों के बीच भी काफी लोकप्रिय हो गई हैं।
63 की उम्र में की पैराग्लाइडिंग
अपनी सबसे अच्छी एडवेंचर ट्रिप के बारे में बात करते हुए सुभा कहती हैं, “मुझे हाल की हिमाचल की ट्रिप सबसे अच्छी लगी, जिसमें मैंने पैराग्लाइडिंग का मज़ा लिया। हालांकि मुझे अंदर से डर भी लग रहा था, लेकिन बावजूद इसके मैंने अपने विल पॉवर को कम नहीं होने दिया और मेरे बेटे ने हर वक़्त मेरा हौसला बढ़ाया।"
अपने जैसे हर एक सीनियर सिटीजन को सुभा डरने के बजाय, जीवन को खुल के जीने की सलाह देती हैं। अगर आप भी यह सोचकर अपने माता-पता को हिल स्टेशन या गोवा नहीं ले जाते कि वे इस उम्र में वहां क्या करेंगे? तो एक बार ज़रूर उन्हें अपने साथ ले जाकर देखें, उनकी ख़ुशी और उनकी उम्र दोनों बढ़ जाएगी।
आप इस माँ-बेटे की यात्रा से जुड़ी बेहतरीन तस्वीरें और वीडियोज़ देखने के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते हैं।
संपादन-अर्चना दुबे
यह भी पढ़ें: 6 महीने में 300 गाँव, 500 मंदिर और 26 हजार किमी की यात्रा, वह भी अपनी कार से