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Positive stories of women empowerment, achievements, initiatives, heroes, heroines, farmers, innovations, business and many more from Gujarat, India. भारत के गुजरात से जुड़ीं पॉजिटिव, सकारात्मक कहानियां, अच्छी ख़बरें, आविष्कार से सम्बंधित ख़बरें, अनजाने नायक जो एक बेहतर कल के लिए प्रयासरत हैं. गुजरात की महिलाओं की कहानियां, जिन्होंने बदलाव की नींव रखी। गुजरात के किसानों को प्रेरित करने वाली प्रगतिशील किसानों की ख़बरें। शून्य से शुरू करके शिखर तक पहुँचने वाले लोगों की कहानियां। छोटे व्यवसाय से अपनी किस्मत बदलने वाले लोगों की प्रेरक कथाएं। \ Positive stories of women empowerment, achievements, initiatives, heroes, heroines, farmers, innovations, business and many more from Gujarat, India.

1971 : जब भुज की 300 महिलाओं ने अपनी जान ख़तरे में डाल, की थी वायुसेना की मदद!

8 दिसम्बर 1971 की रात को भारत- पाक युद्ध के दौरान, भुज में IAF के एयरस्ट्रिप पर, सबरे जेट विमान के एक दस्ते ने 14 से अधिक नापलम बम गिराए। जिसकी वजह से यह एयरस्ट्रिप खराब हो गयी। ऐसे में, इस एयरस्ट्रिप की भुज के माधापुर गाँव की 300 महिलायों ने मरम्मत कर वायुसेना की मदद की।

जिम, आरओ प्लांट, मेडिकल स्टोर और रिटेल स्टोर जैसी सुविधाओं वाले इस स्मार्ट गाँव में आज तक नहीं हुआ है चुनाव!

By निशा डागर

Gujrat के साबरकांठा जिले की जेठीपुरा ग्राम पंचायत देश की आदर्श ग्राम पंचायतों में से एक है। गाँव के सरपंच अहसान अली बट्ट के नेतृत्व में पिछले 7 सालों में बहुत से विकास कार्य हुए हैं। गाँव का अपना कुआ, आरओ प्लांट, मेडिकल स्टोर, अस्पताल आदि हैं।

प्लास्टिक-फ्री शादी में दिया 'सेव फ़ूड' का संदेश; किसानों के लिए लगवाई आविष्कारों की प्रदर्शनी!

By निशा डागर

Gujrat में अहमदाबाद के रहने वाले चेतन पटेल ने अपनी शादी में 20 पन्नों का निमंत्रण पत्र छपवाया, जिसमें शादी के समारोह की जानकारी के अलावा कृषि के सम्बंधित बहुत-सी अन्य प्राकृतिक और ज़रूरी जानकारी भी प्रिंट करवाई गयी थी। उनका उद्देश्य अपनी शादी के ज़रिए समाज में बदलाव की एक मुहीम शुरू करना था।

भारत का एकमात्र 'वर्ल्ड हरिटेज सिटी', दिल्ली या मुंबई नहीं, बल्कि यह ऐतिहासिक शहर है!

By निशा डागर

अहमदाबाद भारत का पहला शहर है, जिसे 'वर्ल्ड हेरिटेज सिटी' होने का ख़िताब प्राप्त हुआ। 8 जुलाई 2017 को यह घोषणा की गयी। 600 साल पुराने इस शहर में सुल्तानों, अफ्रीकी मूल के सिदी बादशाहों, मुगल सम्राटों और महात्मा गाँधी की कहानियाँ बसी हैं।

ड्राईवर पिता ने देखा था एक सपना, बेटे ने IIM-अहमदाबाद में दाख़िला पाकर किया उसे पूरा!

By मानबी कटोच

गुजरात के आनंद शहर में रहने वाले हितेश सिंह को भारत के बेहतरीन कॉलेजों में से एक, IIM Ahmedabad में एडमिशन मिल गयी है।

सौ रूपये से भी कम लागत में, गाँव-गाँव जाकर, आदिवासी महिलाओं को 'सौर कुकर' बनाना सिखा रहा है यह इंजीनियर!

By निशा डागर

गुजरात ग्रासरूट्स इनोवेशन ऑगमेंटेशन नेटवर्क में सीनियर मैनेजर का पद संभाल रहे अलज़ुबैर सैयद ने भारत के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में ईंधन की समस्या पर काम करते हुए 'सोलर कुकिंग अभियान' शुरू किया है। उन्होंने अब तक 100 से भी ज़्यादा गांवों में जाकर लोगों को सौर कुकर बनाना सिखाया है।

दरामली : देश का पहला 'कौशल्य गाँव', जिसके विकास को देखने आते हैं देश-विदेश से लोग!

By निशा डागर

गुजरात के साबरकांठा जिले के दरामली गाँव को स्वच्छता के साथ-साथ, देश का प्रथम 'कौशल्य गाँव' होने के का भी सम्मान प्राप्त है। इस गाँव की सरपंच, देसाई हेतल बेन अंकुर भाई हैं। उनके कार्यों से प्रेरित होकर ही उत्तर-प्रदेश के हसुड़ी औसानपुर गाँव के सरपंच दिलीप त्रिपाठी ने भी अपने गाँव का विकास किया है।

60 वर्षीय दिव्यांग ने ई-वेस्ट का इस्तेमाल कर बनाई ई-बाइक, मथुरा का 'देसी जुगाड़' बना प्रेरणा!

By निशा डागर

गुजरात में सूरत के रहने वाले 60 वर्षीय विष्णु पटेल ने बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग और मदद के, अलग-अलग तरह के कचरे का इस्तेमाल कर 'ई-बाइक' बनाई

अनार की आधुनिक खेती कर बदली लोगों की सोच, पद्म श्री विजेता है गुजरात का यह दिव्यांग किसान!

गुजरात के बनासकांठा जिले के सरकारी गोलिया गाँव के एक दिव्यांग किसान गेनाभई दर्गाभई पटेल को साल 2017 में पद्म श्री से नवाज़ा गया। गेनाभाई अनार की जैविक और आधुनिक खेती करके आज लाखों में कमा रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने और भी किसानों को आधुनिक खेती करने की प्रेरणा दी है।

वडोदरा: हर रोज़ लगभग 300 जरूरतमंद लोगों का पेट भरती हैं 83 वर्षीय नर्मदाबेन पटेल!

By निशा डागर

गुजरात के वडोदरा की रहने वाली 83 वर्षीय नर्मदाबेन पटेल, 'राम भरोसे अन्नशेत्रा' नाम से एक पहल चला रही हैं। इस पहल के जरिये वे शहर भर में जरूरतमंद और गरीब लोगों को मुफ़्त में खाना बाँटती हैं। इस नेक काम की शुरुआत उन्होंने साल 1990 में की थी।