Powered by

Home गुजरात राजकोट के इस युवक ने देसी खटिया को बनाया डिज़ाइनर, मिलने लगे विदेशों से भी ऑर्डर्स

राजकोट के इस युवक ने देसी खटिया को बनाया डिज़ाइनर, मिलने लगे विदेशों से भी ऑर्डर्स

परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने से पढ़ाई छूट गई, गांव में बाढ़ आई तो घर छूट गया फिर भी राजकोट के मुस्तफ़ा लोटा ने हार नहीं मानी। आज वह अपने हुनर की बदौलत अपनी बनाई खटिया अमेरिका और लंदन तक भेज रहे हैं।

New Update
Designer cot business

पूरे दिन व्यस्त रहने वाले 25 वर्षीय तेज-तर्रार युवक मुस्तफ़ा लोटा से, हमें लंच ब्रेक में बात करने का मौका मिला। हालांकि, इस दौरान भी उन्हें खाटों के ऑर्डर के लिए फ़ोन आते रहे। यकीन ही नहीं होता कि साल के 800 से 900 डिज़ाइनर खटिया, देश-विदेश में बेच रहा यह युवक, मात्र दसवीं पास है। उनकी बनाई खाट भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पसंद की जा रही है। 

आश्चर्य की बात तो यह है कि मुस्तफ़ा ने इस बिज़नेस को शुरू करने से पहले कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी। उन्होंने यह हुनर अपने पिता को देख-देखकर ही सीखा है। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, "मेरे पिता, गांव में लोगों की खटिया बुनने में मदद किया करते थे। उनके साथ रहते हुए, मुझे भी यह काम आ गया।"

आज अपने उसी हुनर का इस्तेमाल करके, वह मुनाफ़ा कमाने के साथ-साथ, हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने का काम भी कर रहे हैं। 

Mustafa Bhai making designer khat
मुस्तफ़ा लोटा

एक समय ऐसा था, जब हर घर के आँगन में एक खटिया पड़ी दिख ही जाती थी। समय-समय पर रस्सी से उसकी बुनाई की जाती थी। परिवार के लोग आपस में मिलकर खटिया बुनने का काम करते थे। लेकिन आज शहरों के साथ-साथ, गाँवों में भी मुश्किल से कहीं खाट दिखाई देती है। आज लोग घर के गार्डन या आँगन के लिए आउटडोर फर्नीचर खरीदते हैं। ऐसे में, मुस्तफ़ा ने खाट को हर घर तक वापस ले जाने की सोच के साथ, इस बिज़नेस की शुरुआत की थी। वह आज सालाना 800 से 900 खटिया बेच रहे हैं। 

खेती हुई बंद, तो शुरू किया खटिया बनाने का काम  

मुस्तफ़ा मूल रूप से जामनगर के एक छोटे से गांव बलंभा के रहनेवाले हैं। उनके पिता खेती करते थे। लेकिन परिवार का गुजारा सिर्फ खेती से चलाना मुश्किल था,  इसी कारण उन्हें 10वीं के बाद पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी। चूँकि उनका खेत, गांव के निचले इलाके में था, इसलिए बारिश के दौरान उनकी खेती में भी नुकसान होता था।  

साल 2012 में, उनका पूरा परिवार रोजगार की तलाश में राजकोट आकर बस गया। लेकिन बड़े शहर में बिना पूंजी के क्या बिज़नेस करें? यह भी एक बड़ा सवाल था। 

Designer khat

वह बताते हैं, "जब खेती से कमाई कम हो रही थी,  उस दौरान मेरे पिता गांव में लोगों के लिए खटिया बुनने का काम भी किया करते थे। हालांकि शुरुआत में हमें इस रोजगार से ज्यादा उम्मीद नहीं थी। लेकिन आज मैं और मेरे चार भाई मिलकर इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।"

साल 2012 में, उन्होंने पिता शाबिरभाई हारूनभाई लोटा की मदद से 'इंडिया फेब्रिकेशन'  नाम से खटिया बनाने का बिज़नेस शुरू किया था। धीरे-धीरे पूरा परिवार इस बिज़नेस से जुड़ गया। 

सामान्य खाट से, रजवाड़ी डिज़ाइन तक 

पिता और बेटों ने मिलकर नए-नए प्रयोग करना शुरू किया। आज वह रजवाड़ी, कच्छी डिज़ाइन सहित, ग्राहकों की डिमांड के हिसाब से कई तरह की खटिया तैयार करते हैं। वह कहते हैं कि एक सादी खटिया बनाने में सिर्फ तीन घंटे का समय लगता है। वहीं, गलीचे वाली डिज़ाइन बनाने के लिए दो से तीन दिन का समय लग जाता है। सामग्री की बात करें, तो वे गैल्वेनाइज्ड, स्टील और लकड़ी का उपयोग करते हैं। 

उनका कहना है, “फ्रेम में पाउडर कोटिंग के रंग के कारण, ये खाट काफी टिकाऊ होती हैं। बुनाई के धागे या रस्सी के लिए वह रेशम की बुनी हुई डोरी का उपयोग करते हैं। ये डोरियां, धूप और बारिश में भी ख़राब नहीं होतीं। सही रख-रखाव के साथ, यह खाट तकरीबन 10 से 15 सालों तक आराम से चलती है। वहीं, अगर इनकी कीमत की बात की जाए, तो फ़िलहाल बाजार में ये 2,800 से लेकर 40,000 तक में बिक रहे हैं।” 

designer khatiya made by Mustafa

साथ ही, उनका यह भी दावा है कि अगर किसी को पीठ में दर्द है और वह इस खटिया का उपयोग करता है, तो उसे निश्चित रूप से थोड़ा आराम मिलेगा। वर्तमान में मुस्तफ़ा, राजवाड़ी खटिया, मचिया, स्टील, लोहे और लकड़ी से बनी खटिया बेच रहे हैं। 

अगर आप भी इस तरह की डिज़ाइनर खाट खरीदना या इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो आप 85118 55786 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

संपादन – अर्चना दुबे

मूल लेख- प्रशांत

यह भी पढ़ें: किसान माता-पिता चाहते थे इंजीनियर बनाना, पर बेटा एम्ब्रॉइडरी सीखकर बन गया सफल बिज़नेसमैन

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें [email protected] पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।