सूरत के यह किसान बिना किसी मार्केटिंग के बेचते हैं अपना आर्गेनिक गुड़ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक

sugarcane farmer

सूरत के मांडवी तालुका के गोविंद वाघासिया, पिछले 35 साल से गन्ने की खेती कर रहे हैं। सालों पहले, उनके पिता अपनी फसल बेचने के लिए अच्छे भाव या बाजार पर निर्भर रहते थे। लेकिन आज वह अपने उत्पाद की कीमत खुद तय करते हैं और कई टन गुड़ बेचकर अच्छा मुनाफ़ा कमाते हैं।

खेत में तैयार होनेवाले उत्पाद को बेचने के लिए किसान अगर बाजार के भाव पर निर्भर रहेगा, तो कभी भी उसे मनचाहा भाव नहीं मिल पाएगा। आज से कुछ 30 साल पहले सूरत के गोविंदभाई वाघासिया (Successful Gujarat Farmer), अपने गन्ने की फसल की कटाई के तकरीबन नौ महीने बाद भी उसकी वाज़िब कीमत का इंतजार करते थे। 

तभी उन्होंने यह निश्चय किया कि गन्ने को बेचने के बजाय क्यों न खुद का गुड़ बनाया जाए। हालांकि उन्होंने गुड़ बनाने की सही तकनीक अपने पिता से सीखी थी, लेकिन वह खेती को सही व्यवसाय बनाना चाहते थे, इसलिए कृषि यूनिवर्सिटी से संपर्क किया। 

यूनिवर्सिटी से उन्हें मार्गदर्शन मिला कि यही मायनों में किसान ही अपने फसल का मालिक है। साथ ही यह भी जाना कि खेती के क्षेत्र में अच्छा मुनाफा कैसे कमाया जा सकता है।

उन्होंने अपनी गुणवत्ता पर ध्यान दिया और खुद के ब्रांड नाम के साथ गुड़ बनाना शुरू किया। उन्होंने एक छोटे से बदलाव से शुरुआत की थी और आज उनके  गुड़ बनाने के प्लांट में तक़रीबन 350 लोग काम कर रहे हैं। पिछले 10 सालों से वह ऑर्गेनिक गुड़ भी बना रहे हैं।

बेटर इंडिया से  बात करते हुए वह कहते हैं, “10 किलो गुड़ ले जाने वाला ग्राहक, अगले साल 100 किलो गुड़ लेने हमारे पास आता है। मेरे लिए यही मेरी सफलता और मुनाफा है।” 

successful gujarat farmer, Govindbhai vaghasiya
गोविंदभाई वाघासिया

वह अपने पिता की कही बात को अपने जीवन का सिद्धांत मानते हैं। उनके पिता कहा करते थे कि दुनिया के किसी भी दूसरे बिज़नेस के बजाय, अगर तुम खेती में दिल से मेहनत करोगे, तो मन की शांति के साथ अच्छा मुनाफा भी कमा सकोगे।

खेती में अपनी आय बढ़ाने के लिए वह निरंतर कुछ न कुछ सीखते रहते हैं। फिर चाहे नई तकनीक इस्तेमाल करना हो या नए प्रोडक्ट्स बनाना।  

ऑर्गेनिक तरीकों से बढ़ा मुनाफा 

गोविंदभाई पहले रासायनिक तरीके का उपयोग करके, प्रति बीघा मात्र 20 से 22 टन ही गन्ना उगा पाते थे। जबकि गाय आधारित ऑर्गेनिक तरीके से वह एक बीघा से 28 से 30 टन उत्पादन कर रहे हैं, जो  स्वाद और गुणवत्ता में भी कई गुना अच्छा है। ऑर्गेनिक तरीके अपनाने का एक और फायदा बताते हुए वह कहते हैं, “रसायन का उपयोग करके जब हम गन्ना उगाते थे, तब पहले साल तो उत्पादन अच्छा होता था, लेकिन अगले साल गन्ने की गुणवत्ता और उत्पादन काफी कम हो जाता था। जबकि ऑर्गेनिक तरिका अपनाने से ये सारी समस्याएं ख़त्म हो गईं।”

एक टन गन्ने से वह तरकरीबन 120 किलो गुड़ उत्पादन करते हैं। इस तरह उनके खेत में लगे प्लांट पर हर दिन 11 हजार किलो गुड़ का उत्पादन होता है।  

jaggary candy and powder made by successful gujarat farmer

उनके पास तक़रीबन 100 एकड़ खेत हैं, जिसमे वह 22 एकड़ जगह में ऑर्गेनिक तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की मांग को देखते हुए वह आने वाले दिनों में अपने ज्यादा से ज्यादा खेतों को रसायन मुक्त बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अगले साल वह ऑर्गेनिक मूंगफली से तेल बनाने का काम शरू करने वाले हैं।

खेती के कचरे से बनाते हैं बेहतरीन खाद

गोविंदभाई खेत तैयार करने के लिए भी बेहद सस्ती और वेस्ट से बेस्ट बनाने की तकनीक का उपयोग करते हैं, जो की वैल्यू एडिशन करने के बाद ही संभव हो पाया। वह गुड़ बनाने के बाद, बचे गन्ने के छिल्कों को गाय के गोबर के साथ मिलाकर कम्पोस्टिंग करते हैं। उन्होंने बताया, “गन्ने की मिठास के कारण इसके छिल्के से सबसे उत्तम वर्मी कम्पोस्ट तैयार होती है। हालांकि इस खाद को बनने  में ज्यादा समय लग जाता है। लेकिन इससे हमारी जमीन काफी मुलायम बन जाती हैं।”

इस तरह ऑर्गेनिक तरीके अपनाने से उन्हें बाहर से कुछ भी खरीदना नहीं पड़ता। हालांकि, ऑर्गेनिक खेती से जुड़ने की  प्रेरणा उन्हें ग्राहकों से ही मिली। कई ग्राहक उनसे ऑर्गेनिक गुड़ की डिमांड करते थे, तभी उन्हें लगा कि ऑर्गेनिक तरीके न सिर्फ उनके खेत के लिए अच्छे हैं, बल्कि लोग भी इसे खुशी से खरीदेंगे।

sugarcane products

गुड़ से बने इनके प्रोडक्ट्स जाते हैं विदेशों तक 

इतने बड़े स्तर पर प्रोडक्शन होने के बावजूद भी, वह किसी तरह की कोई मार्केटिंग वगैरह नहीं करते हैं।  न ही उनकी कोई वेबसाइट या सोशल मीडिया पर अकाउंट है। वह कहते हैं,”सालों से कई रिसेलर हमारे पास से गुड़ ले जाकर गुजरातभर में बेच रहे हैं। इसी तरह हमारी गुणवत्ता को देखकर अमेरिका, कनाडा और यूरोप जैसे देशों से भी लोग फ़ोन के जरिए ऑर्डर करते हैं।”

गुड़ की एक किलो पैकिंग से लेकर 10 और 15  किलो के बॉक्स उनकी फैक्ट्री पर तैयार किए जाते  हैं। वहीं उनकी फैक्ट्री में चीनी की जगह उपयोग में लिया जाने वाला गुड़ का पाउडर और बच्चों के लिए सेहतमंद गुड़ की चॉकलेट भी काफी डिमांड में है। 

गुजरात में कई किसान अब गाय आधरित खेती से जुड़ रहे हैं। ऐसे में वे खाद बनाने के लिए भी गुड़ का इस्तेमाल करते हैं। गुजरात भर से लगभग 27 से 30  किसान अपने खेत के लिए जीवामृत खाद बनाने के लिए वाघसिया फार्म से गुड़ ले जाते हैं। आने वाले दिनों में वह अपने प्लांट में ऑटोमेटिक मशीनें लाने वाले हैं, जिससे प्रोडक्शन और अच्छा हो सके। 

आप वाघासिया फार्म पर बने पारस मोती गुड़ या दूसरे प्रोडक्ट्स खरीदने के लिए उन्हें 8000799941, 9909918816  पर संपर्क करें। 

संपादनः अर्चना दुबे

यह भी पढ़ेंःIITian ने नौकरी छोड़ बसाया गाँव, 160 लोग शहर छोड़, प्रकृति के बीच जी रहे सुखद जीवन

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X