ऐसे समय में जब देश के काफी हिस्सों में लॉकडाउन है, बाहर की दुनिया से जुड़े रहने और अपने प्रियजनों को अपडेट रखने का सबसे अच्छा ज़रिया सोशल मीडिया बन गया है। महामारी के इस दौर में, यह एक शक्तिशाली उपकरण बनकर सामने आया है जो ऐसे लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है जो ज़रूरतमंद हैं, जिनके पास साधन हैं और जो दूसरों की मदद करना चाहते हैं। सोशल मीडिया की इसी ताक़त से लाभान्वित हुए हैं आज की हमारी कहानी के नायक कन्नैयन सुब्रमण्यम।
सुब्रमणयम किसान हैं और तमिलनाडु के इरोड में अरचलूर में रहते हैं। सुब्रमणयम ने अपनी मेहनत की फसल को बर्बाद होने से बचाने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल किया और सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म ने भी उन्हें निराश नहीं किया!
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सुब्रमण्यम के खेत में 95 टन पत्ता गोभी की फसल तैयार थी। लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें इस फसल का कोई भी खरीददार नहीं मिल रहा था, जिसके कारण उनका 4 लाख रूपए का निवेश बर्बाद हो सकता था। तब सुब्रमण्यम ने सोशल मीडिया पर गुहार लगाने के बारे में सोचा ताकि वह अपनी मेहनत की फसल को भी बचा सकें और उसे ज़रूरतंदों तक भी पहुंचा सकें।
उन्होंने ये ट्वीट किया जिसके साथ पत्ता गोभी की फसल का 15 सेकेंड का वीडियो क्लिप भी शामिल था।
और फिर कमाल हो गया!
18 अप्रैल को किए गए इस ट्वीट को करीब 340,000 बार देखा गया और इससे उन्हें अपने फसल के लिए खरीददार मिलने में काफी मदद हुई। सुब्रमण्यम की मदद के लिए सबसे पहले सामने आए लोगों में से एक चेन्नई स्थित स्टार्टअप, वेकूल फूड्स है। यह एक सामाजिक उद्यम है जिसने 35,000 से अधिक किसानों को उनके कृषि कार्यों को बढ़ाने में मदद की है। स्टार्टअप ने सुब्रमणयम के खेत से प्रति किलोग्राम 5.5 रूपए कई टन पत्ता गोभी खरीदकर उनकी मदद की।
50 वर्षीय सुब्रमणयम ने द बेटर इंडिया के साथ बात करते हुए बताया, “जब मैंने पहली बार देखा कि ट्वीट वायरल हो रहा था, तो मैं वाकई काफी खुश था। मेरे बेटे ने मुझे रीट्वीट की संख्या और उस पोस्ट पर कमेन्ट दिखाए जो मैंने शेयर किया था। यह देखना सुखद था कि लॉकडाउन के दौरान कैसे लोग दूसरों की मदद के लिए तैयार थे।”
ट्वीट वायरल होने के कुछ दिनों बाद, बेंगलुरु साउथ से सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी 12,000 किलोग्राम फसल खरीदी, जो जरूरतमंदों को बांटी गई। कई चैरेटी ट्रस्टों और गैर सरकारी संगठनों ने भी 2000-3000 किलोग्राम के छोटे लॉट खरीदे। 28 अप्रैल तक, सुब्रमण्यम ने अपनी फसल से 42 टन पत्ता गोभी बेची थी।
सुब्रमण्यम बताते हैं, “ट्वीट के माध्यम से मैं कई लोगों के साथ जुड़ने में सक्षम हुआ जो व्यक्तिगत रूप से आए और मेरी उपज खरीद कर ले गए। इस तरह, एक और दोस्त ने मुझसे 4000 किलोग्राम उपज खरीदी और इसे 3000 ग्रामीण कृषि मजदूरों को वितरित किया।" वह आगे बताते हैं कि उन्होंने इरोड से चेन्नई तक अपनी उपज को भेजने में परिवहन की व्यवस्था के लिए दक्षिण रेलवे से भी मदद के लिए अनुरोध किया। रेलवे ने जल्द ही जवाब दिया और 3 टन उपज के परिवहन में सहायता की।
दान भी की अपनी फसल
इसके अलावा, सुब्रमण्यम ने नीलगिरी और थलावाडी में आदिवासी समुदायों को 12 टन पत्ता गोभी दान की है। सुब्रमणयम कहते हैं, “मेरा उद्देश्य लाभ कमाना नहीं था, मैंने अपनी अधिकांश उपज 2.5 रूपए प्रति किलोग्राम पर बेची और लागत पर भी मुश्किल से पहुंचा। मैं इतनी बड़ी मात्रा में गोभी को सड़ते हुए नहीं देखना चाहता था, वो भी तब जबकि हमारे देश में बहुत सारे लोग भूखे मर रहे थे।”
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अलग परिस्थितियों में अगल उपायों की ज़रूरत होती है और सुब्रमण्यम की अलग सोच ने ये साबित कर दिया कि अगर सही तरीके से सोशल मीडिया उपयोग किया जाए तो यह एक कारगर उपकरण है। इससे ये भी पता चलता है कि अगर ज्यादा से ज्यादा किसानों को सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाये, तो इससे उन्हें भी काफी फायदा पहुँच सकता है।
सुब्रमण्यम ने द बेटर इंडिया को बताया, "आज ट्विटर पर मेरे पोस्ट को 340,000 बार देखा गया है, मैं ये कहते हुए काफी खुश हूँ कि मेरी काफी फसल बिक चुकी है। बहुत से किसान सोशल मीडिया से काफी दूर हैं ऐसे में, मैं इन दिनों बाकी किसानों को उनकी उपज बेचने में मदद करने की कोशिश कर रहा हूँ।"
यदि आप कन्नैयन सुब्रमण्यन की मदद करना चाहते हैं, तो आप उनसे 9444989543 पर संपर्क कर सकते हैं।
मूल लेख- SERENE SARAH ZACHARIAH
संपादन- पार्थ निगम
तस्वीरें साभार - ट्विटर
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